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मेरे पति दुर्गा सोरेन की मौत की जांच हो, सीता सोरेन ने की मांग

रांची :झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संरक्षक शिबू सोरेन के परिवार को एक और झटका लगा जब उनकी बड़ी बहू सीता सोरेन ने अपने पति दुर्गा सोरेन की रहस्यमय मृत्यु की उच्च स्तरीय जांच की मांग की. सीता, जो हाल ही में बीजेपी में शामिल हुईं, ने झामुमो पर उपेक्षा का इल्जाम लगाया और अपने परिवार के साथ किए गए व्यवहार पर असंतोष व्यक्त किया. उन्होंने बोला कि 2009 में दुर्गा सोरेन के मृत्यु के बाद उनके साथ बहुत बुरा बर्ताव किया गया.

दिल्ली से लौटने के बाद रांची में एक प्रेस वार्ता में सीता ने अपने पति की मृत्यु की गहन जांच की मांग करते हुए बोला कि उन्होंने झामुमो को मजबूत करने के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया था. उन्होंने इल्जाम लगाया कि दुर्गा सोरेन की मृत्यु के बाद उनके परिवार को हाशिए पर रखा गया और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया, उन्होंने इस अनुभव को दुखद बताया. सीता ने कारावास में बंद झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन पर अपने दिवंगत पति का अपमान करने का इल्जाम लगाया.

पिछले हफ्ते, सीता ने कल्पना पर फिर से निशाना साधते हुए चेतावनी दी थी कि दुर्गा सोरेन के लिए झूठे आंसू बहाने वालों के बारे में खुलासे से कुछ लोगों की सियासी महत्वाकांक्षाएं चकनाचूर हो सकती हैं. उन्होंने बल देकर बोला कि सच्चाई खुलासा करने से दुर्गा सोरेन और उनके समर्थकों को किनारे करने की साजिशों का भंडाफोड़ हो जाएगा, जिससे झारखंड के लोगों में निराशा पैदा होगी. सीता ने इस बात पर बल दिया कि उनके पति के मृत्यु के बाद उनके जीवन में बदलाव एक दुःस्वप्न जैसा था, उनके परिवार को सामाजिक और सियासी अलगाव का सामना करना पड़ रहा था. झामुमो की निंदा करते हुए उन्होंने बोला कि झारखंड का विकास सिर्फ़ पीएम मोदी की विचारधारा से ही हो सकता है, क्योंकि झामुमो अपने सिद्धांतों से भटक गया है और करप्ट आचरण में लिप्त हो गया है.

हाल ही में बीजेपी में शामिल हुईं सीता सोरेन को दुमका लोकसभा सीट से पार्टी का उम्मीदवार बनाया गया है. वह शिबू सोरेन और दिवंगत दुर्गा सोरेन की बहू हैं और पहले झारखंड में जामा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक के रूप में कार्य कर चुकी हैं. सीता सोरेन को अतीत में कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ा है, जिसमें 2012 के राज्यसभा चुनावों के दौरान घूस लेने का इल्जाम भी शामिल है, जिसके लिए उन्होंने जमानत मिलने से पहले सात महीने कारावास में बिताए थे. 19 मार्च, 2024 को उन्होंने पार्टी में चल रही उपेक्षा का हवाला देते हुए झामुमो के सभी पदों से त्याग-पत्र दे दिया था.

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