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नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड में विशेष अदालत ने 2 शूटर्स को ठहराया दोषी

पुणे की एक विशेष न्यायालय ने तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर की मर्डर के मुद्दे में शुक्रवार को दो आरोपियों सचिन अंदुरे और सारद कालस्कर को गुनेहगार ठहराया और उन्हें जीवन भर जेल की सजा सुनाई. न्यायालय ने तीन अन्य लोगों, वीरेंद्र तावड़े, वकील संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे को भी सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने तावड़े पर इस मुद्दे का मुख्य साजिशकर्ता होने का इल्जाम लगाया था. 2013 के मर्डर मुद्दे की सुनवाई 2021 में प्रारम्भ हुई, जबकि पुणे सत्र न्यायाधीश पीपी जाधव ने पिछले महीने मुद्दे में निर्णय सुरक्षित रख लिया था.

महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक दाभोलकर को 20 अगस्त, 2013 को पुणे में सुबह की सैर के दौरान दो बाइक सवार हमलावरों ने गोली मार दी थी. वह कई सालों से समिति चला रहे थे, जब उन्होंने विभिन्न पुस्तकें प्रकाशित कीं और अंधविश्वास के उन्मूलन के लिए कार्यशालाएँ आयोजित कीं. 2013 में उनकी मर्डर के बाद, काफी सार्वजनिक आक्रोश के बीच, दाभोलकर की बेटी और बेटे द्वारा दाखिल याचिकाओं पर, बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मुद्दे को पुणे पुलिस से CBI को स्थानांतरित कर दिया था. मुद्दे से संबंधित याचिकाओं पर न्यायालय अभी भी सुनवाई कर रही थी.

इसके बाद मुद्दे में पांच आरोपियों वीरेंद्र सिंह तावड़े, सचिन अंदुरे, शरद कलास्कर, विक्रम भावे और वकील संजीव पुनालेकर को अरैस्ट किया गया. पांचों पर मर्डर और आपराधिक षड्यंत्र के लिए धारा 302 के साथ धारा 120 बी या 34 और अवैध गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम) और शस्त्र अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार इल्जाम लगाए गए थे.

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