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राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को दिया झटका

राजद्रोह कानून (आईपीसी 124A) की कानूनी वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर संविधान पीठ विचार करेगी चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह मुद्दा आगे विचार के लिए संविधान पीठ को भेज दिया है इस बेंच में 5 या 7 सदस्य होंगे चीफ जस्टिस ने बोला कि 1962 में केदारनाथ सिंह बनाम बिहार गवर्नमेंट के मुद्दे में 5 जजों की संविधान पीठ ने राजद्रोह क़ानून की वैधता को बरकरार रखा था है वैसे अभी सुनवाई कर रही बेंच तीन जजों की है, लिहाजा इस छोटी बेंच के लिए उस निर्णय पर शक करना/समीक्षा करना ठीक नहीं रहेगा

केंद्र गवर्नमेंट ने सुनवाई टालने का आग्रह किया

हालांकि केंद्र गवर्नमेंट ने उच्चतम न्यायालय से आग्रह किया था कि इस मुद्दे की सुनवाई को अभी टाल दिया जाए क्योंकि आपराधिक कानून में प्रस्तावित व्यापक बदलावों पर अभी पार्लियामेंट की स्टैंडिंग कमेटी विचार कर रही है लिहाजा न्यायालय नए क़ानून के वजूद में आने का इतंज़ार कर ले लेकिन चीफ जस्टिस ने बोला कि यदि गवर्नमेंट नया क़ानून भी लाती है तो भी इसके चलते राजद्रोह के पुराने मुकदमा समाप्त नहीं होंगे नया क़ानून केवल आगे के मामलों पर लागू होगा लिहाजा उसके आने के बावजूद आइपीसी की धारा 124 A की कानूनी वैधता का प्रश्न बने रहेगा

पिछले वर्ष SC ने रोक लगाई थी
पिछले वर्ष 11 मई को दिए अपने अहम आदेश में उच्चतम न्यायालय ने राजद्रोह क़ानून को निष्प्रभावी कर दिया था न्यायालय का बोलना था कि जब तक गवर्नमेंट इस क़ानून की समीक्षा कर किसी नतीज़े पर नहीं पहुंचती, तब तक इस क़ानून का इस्तेमाल करना ठीक नहीं रहेगा न्यायालय ने केंद्र और राज्यों से बोला था कि वो  राजद्रोह क़ानून ( धारा124 ए ) के अनुसार FIR दर्ज करने से परहेज करे जो मुद्दे पहले ही राजद्रोह के अनुसार दर्ज किए गए है, उनमें जांच जारी नहीं रहेगी इसी बीच कोई दंडात्मक कार्रवाई भी इस क़ानून के आधार पर नहीं होगी

प्रस्तावित क़ानून पर सिब्बल का एतराज
हालांकि गवर्नमेंट ने प्रस्तावित भारतीय इन्साफ संहिता विधेयक में धारा 124 ए को सीधे तौर पर शामिल नहीं किया गया है इस प्रावधान में ‘देशद्रोह’ शब्द के इस्तेमाल से परहेज किया गया है लेकिन इस तरह क्राइम को “भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाला” ज़रूर कहा गया है आज सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने बोला कि नया क़ानून पहले से कहीं ज़्यादा घातक है

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