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बारामती में होगी सुप्रिया सुले की अग्नि परीक्षा, पिता के गढ़ बारामती को बचाने में होंगी कामयाब…

मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा भूचाल तब देखने को मिला था जब अजित पवार (Ajit Pawar) ने शरद पवार का दामन छोड़ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पार्टी पर अपना वर्चस्व स्थापित करने की प्रयास की थी मुद्दा अभी चुनाव आयोग के पास लंबित पड़ा हुआ है लेकिन लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर राजनीतिक भूचाल महाराष्ट्र में देखने को मिला है और इस बार शरद पवार की विरासत पर अजित पवार ने कड़ी चुनौती दी है अजित पवार ने दावा कर दिया है कि वह अविभाजित एनसीपी के जीते हुए सभी सांसदों के निर्वाचन क्षेत्र से अपना उम्मीदवार उतारेंगे  मतलब बारामती जिसे शरद पवार का गढ़ माना जाता है अजित ने अब वहां भी सेंध लगा दी है वहां भी अब मुकाबला पवार बनाम पवार देखने को मिलेगा अब देखना होगा कि चाचा भतीजे की इस लड़ाई (Battle of Baramati) में सुप्रिया सुले (Supriya Sule) अपने पिता के गढ़ को बचाने में सफल होती हैं या नहीं दरअसल बारामती (Baramati) का चुनाव जीतना इस बार उनके लिए केवल राजनीति तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि यह उनके अस्तित्व की लड़ाई (Fight) साबित होगी

1992 में हुई शादी 
सुप्रिया सुले का जन्म 30 जून 1969 को पुणे के शहर में हुआ सुप्रिया सुले की शुरुआती पढ़ाई पुणे के ही सैंट कोलंबस विद्यालय में हुई लेकिन उन्होंने अपने कॉलेज की पढ़ाई मुंबई के जय हिंद कॉलेज से की सुप्रिया सुले ने माइक्रोबायोलॉजी से ग्रेजुएशन कंप्लीट किया है सुप्रिया सुले पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी पहुंच गई थी वहां से उन्होंने वॉटर पॉल्यूशन विषय पर पोस्ट ग्रेजुएशन किया है दरअसल जब वह ग्रेजुएशन कर रही थी उसी समय सन 1992 में उनकी विवाह सदानंद सुले से हुई थी विवाह के बाद वह अमेरिका में रहने लगी लेकिन अमेरिका से लौट के बाद सुप्रिया सुले ने पिता के विरासत को संभालने का जिम्मा उठाया

2006 में राजनीति में पदार्पण 
वह 2006 से राजनीति का हिस्सा बनी 2006 में सुप्रिया सुले को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पार्टी की तरफ से राज्यसभा मेंबर बनाया गया उसके बाद वह राजनीति में तेजी से एक्टिव होने लगी कन्या भ्रूण मर्डर जैसे गंभीर विषय पर आवाज उठाई 2009 में सुप्रिया सुले ने पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा और पिता शरद पवार ने उन्हें बारामती से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार बनाया

बारामती को शरद पवार का गढ़ माना जाता है ऐसे में सुप्रिया सुले की जीत बड़ी मार्जिन से हुई फिर सुप्रिया ने पीछे पलट कर नहीं देखा पिता की विरासत को वो आगे बढ़ती चली गईं सुप्रिया विवादों में भी घिरीं लेकिन पिता और भाई का समर्थन मिलता रहा लेकिन अब चुनावी अखाड़े में उनके चचेरे भाई ही सामने खड़े हैं

पिता के गढ़ बारामती को बचाने में होंगी कामयाब?
2009 के बाद 2014 और 2019 से वह लगातार बारामती का अगुवाई कर रही है और वह तीन बार सांसद रह चुकी हैं लेकिन 2024 में चौथी बार सुप्रिया सुले की जीत सरल नहीं होने वाली है, ऐसा प्रतीत हो रहा है कारण है कि हाल ही में शरद पवार से अलग हुए अजित पवार ने बारामती से अपना उम्मीदवार उतारने का मन बना लिया है महाराष्ट्र में हुए निकाय चुनाव के रिज़ल्ट में अजित पवार की पार्टी को अप्रत्याशित जीत मिली

इस आंकड़े को देखते हुए यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में भी अजित पवार की पार्टी को शरद पवार की पार्टी से अधिक लाभ होगा निकाय चुनाव के दौरान बारामती से अजित पवार की पार्टी के ही उम्मीदवार पंचायत चुनाव जीतने में सफल हुए तो ऐसे में अब यह प्रश्न उठ रहा है कि यदि 2024 के लोकसभा चुनाव में भी जनता का भरोसा अजित पवार के उम्मीदवार पर बना तो बारामती से तीन बार सांसद बनने वाली सुप्रिया सुले का सियासी भविष्य खतरे में आ सकता है ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आनें वाले चुनाव में क्या सुप्रिया सुले अपने पिता शरद पवार के गढ़ को बचाने में सफल हो पाती है…

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