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तेलंगाना हाईकोर्ट ने भारतीय सेना के एक अफसर को मैसेंजर ऐप इस्तेमाल करने के लिए मिली सजा को किया रद्द

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने हाल ही में इंडियन आर्मी के एक अधिकारी को अपने मोबाइल में मैसेंजर ऐप इस्तेमाल करने के लिए मिली सजा को रद्द कर दिया जस्टिस जस्टिस पी माधवी देवी (Justice P Madhavi Dev) ने ‘सूबेदार राधा कृष्ण तिवारी बनाम हिंदुस्तान सरकार’ (Subedar Radha Krishna Tiwary vs Union Of India) मुकदमा की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता अधिकारी के प्रमोशन को रोकने वाले आदेश को भी रद्द कर दिया

हालांकि उच्च न्यायालय ने अपना निर्णय सुनाते हुए ऑफिसरों को संबंधित अधिकारी के विरुद्ध सेना के नियमों और प्रक्रिया के अनुसार नए सिरे से कार्रवाई की स्वतंत्रता दी सुप्रीम कोर्ट ने मुद्दे की सुनवाई के दौरान बोला कि ”याचिकाकर्ता अधिकारी को ‘गंभीर फटकार’ (Severe Reprimand) की सजा नुकसान रहित है, लेकिन इस सजा का उसकी सेवा पर भारी प्रतिकूल असर पड़ सकता है…”

हाईकोर्ट ने यह भी बोला कि अधिकारी को मिली सजा साफ रूप से ‘अत्यधिक’ थी कोर्ट ने बोला कि सेना चाहे तो याचिकाकर्ता अधिकारी के विरुद्ध नए सिरे से कार्रवाई का निर्णय ले सकती है, लेकिन उसे नरम रुख अपनाना चाहिए…’

क्या है पूरा मामला?
Bar and Bench की एक रिपोर्ट के अनुसार सेना ने याचिकाकर्ता अधिकारी को आर्मी की सोशल मीडिया पॉलिसी के उल्लंघन के इल्जाम में Severe Reprimand की सजा सुनाई थी उसका प्रमोशन भी रोक दिया था आर्मी ने अपनी जांच में पाया था कि संबंधित अधिकारी के टेलीफोन में जूम, शेयरचैट और मैसेंजर ऐप इंस्टॉल थे हालांकि अधिकारी ने जूम और शेयरचैट ऐप कभी यूज नहीं किया था, लेकिन मैसेंजर ऐप का इस्तेमाल किया था यह सेना के नियमों के उल्टा था

सजा के बारे में कहा तक नहीं
‘गंभीर फटकार’ (Severe Reprimand) और प्रमोशन रोकने के बाद अधिकारी ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था उच्च न्यायालय ने सुनवाई के दौरान पाया कि याचिकाकर्ता को सेना द्वारा उसके विरुद्ध चलाई जा रही कार्यवाही की जानकारी थी, लेकिन सजा का घोषणा न तो उसकी मौजूदगी में किया गया था और न ही इस बारे में उसे सूचना दी गई थी

हाईकोर्ट ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, ”किसी आदेश को न केवल कमांडिंग ऑफिसर द्वारा उस पर हस्ताक्षर करने पर ही पारित माना जाएगा, बल्कि सिर्फ़ तभी पारित होगा जब इस बारे में संबंधित कर्मचारी को सूचित किया जाए, ताकि वह अपने कानूनी तरीकों का इस्तेमाल करने में सक्षम हो

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