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नांदेड़ अस्पताल में मौतों का मामला: अदालत ने इस मामले में शुरू कर दी सुनवाई,यह है मामला

नांदेड़ हॉस्पिटल में हुई मौतों का मुद्दा बॉम्बे उच्च न्यायालय पहुंच गया है. आज न्यायालय ने इस मुद्दे में सुनवाई प्रारम्भ कर दी है. बता दें, रोगियों की मौतों से जुड़े मुद्दे में महाराष्ट्र गवर्नमेंट की तरफ से महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ दलीले पेश करेंगे.

यह है मामला

महाराष्ट्र में नांदेड़ के एक सरकारी हॉस्पिटल में रोगियों की मृत्यु का मुद्दा और गंभीर होता जा रहा है. नांदेड़ के डाक्टर शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में 48 घंटे से भी कम समय में 31 रोगियों की मृत्यु हो गई थी. सोमवार तक मरने वालों की संख्या 24 थी जबकि बाद में सात और रोगियों की मृत्यु हो गई थी. जानकारी के अनुसार, कुल 31 मृतकों में से 16 शिशु हैं.

बॉम्बे उच्च न्यायालय सुनाने वाला है आदेश

नांदेड़ हॉस्पिटल में हुई मौतों के मुद्दे में महाराष्ट्र गवर्नमेंट ने उच्च न्यायालय में एक रिपोर्ट पेश की. इसे संज्ञान में लेते हुए उच्च न्यायालय आदेश देने वाला है. इससे पहले न्यायालय ने कहा कि राज्य गवर्नमेंट की रिपोर्ट में क्या बोला गया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ रोगियों की जान इसलिए नहीं बचाई जा सकी थी, क्योंकि उन्हें निजी अस्पतालों ने बहुत देर से रेफर किया था. रिपोर्ट में यह भी बोला गया है कि सभी दवाएं और अन्य आपूर्तियां मौजूद थीं और प्रोटोकॉल के मुताबिक उपचार किया गया. राज्य गवर्नमेंट ने चिकित्सा आयोग की रिपोर्ट की एक बात भी सामने रखी.

सरकार की रिपोर्ट में बोला गया कि चिकित्सा आयोग के अनुसार, नांदेड़ मेडिकल कॉलेजों में अधिक जनशक्ति और एक नए एनआईसीयू की जरूरत है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 97 पदों में से सिर्फ़ 49 ही भरे हुए हैं.

आखिर मृत्यु की वजह क्या है? 

इससे पहले 24 मौतों की सूचना पर महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग के निदेशक डाक्टर दिलीप म्हैसेकर ने कहा था कि रोगी कुछ क्षेत्रीय निजी अस्पतालों से यहां भेजे गए थे. इनमें से जान गंवाने वाले कुछ रोगी वयस्क थे, जिनकी विभिन्न कारणों से मृत्यु हुई.

अस्पताल के डीन से मिली जानकारी का हवाला देते हुए म्हैसेकर ने बोला कि जिन लोगों की मृत्यु हुई है, उनमें से कुछ नवजात थे और कुछ गर्भवती महिलाएं थीं. अन्य 70 रोगियों की हालत गंभीर है. कुछ लोगों की मृत्यु अज्ञात जहर संबंधी कारण से हुई है.

मधुमेह, लीवर और गुर्दे की समस्याओं से जूझ रहे थे मरीज

वहीं, मेडिकल कॉलेज नांदेड़ के डीन श्यामराव वाकोडे ने कहा था कि मृतक बच्चे भिन्न-भिन्न रोंगों से पीड़ित थे. वयस्कों में 70-80 साल की उम्र के कुछ रोगी थे जिन्हें मधुमेह, लीवर और गुर्दे की समस्याएं थीं. रोगी आमतौर पर गंभीर स्थिति में यहां आते हैं. दवाओं या डॉक्टरों की कोई कमी नहीं थी.

अस्पताल प्रशासन पर क्या बोलना है? 

मीडिया से बात करते हुए डीन डाक्टर श्यामराव वकोडे ने कहा था कि सितंबर 30 से लेकर एक अक्तूबर के बीच पैदा हुए 12 बच्चों की मृत्यु हुई है. नवजात बच्चों के मृत्यु का कारण बताते हुए उन्होंने बोला कि ये सभी बच्चे 0-3 तीन दिन के थे और उनका वजन भी बहुत कम था. उन्होंने बोला था, ‘बाल चिकित्सा विभाग में 142 भर्ती है, जिसमें से 42 की हालत गंभीर है. ऑक्सीजन से लेकर वेंटीलेटर तक सभी की सुविधाएं वहां दी गई है. ये रोगी पड़ोसी जिले हिंगोली, परभणी और वाशिम से आए हैं, वहीं कुछ तेलंगाना के भी रोगी यहां हैं.

 

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