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इन पांच हस्तियों को भारत सरकार ने इसी साल सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा

Why पीएम Modi announced Bharat Ratna to 5 Leaders: कर्पूरी ठाकुर, लालकृष्ण आडवाणी, चौधरी चरण सिंह, पीवी नरसिंह राव, एमएस स्वामीनाथन, इन सभी पांच शख़्सियतों को हिंदुस्तान गवर्नमेंट ने इसी वर्ष सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा है. किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए, यदि कुछ और नाम हिंदुस्तान रत्न के रूप में आने वाले दिनों में सामने आएं. निश्चित ही ये सभी नाम जरूरी हैं और देश-समाज की तरक्की में इनका अपना विशिष्ट सहयोग रहा है. भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को छोड़कर बाकी सभी हस्तियां हमारे बीच नहीं हैं. सबको मरणोपरांत यह सम्मान मिला है.

पीएम नरेंद्र मोदी भी संकेतों की राजनीति करते आ रहे हैं. वे चौंकाने के लिए भी जाने जाते हैं. वर्ष 2014 में एनडीए गवर्नमेंट बनी तो पीएम ने सफाई का अभियान छेड़ा और गांधी जी प्रतीक बन गए. राष्ट्र के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति गुजरात में लगाकर गवर्नमेंट ने न सिर्फ़ गुजरात को साधा बल्कि राष्ट्र भर से लोहा एकत्र करके पिछड़े वर्ग की भावनाओं को जोड़ा.

दक्ष‍िण का साथ जरूरी

400 का आंकड़ा संसद में पार करने की एक ही सूरत है कि दक्षिण हिंदुस्तान से कुछ बड़े पार्टनर मिलें. जयललिता की पार्टी से तमिलनाडु में बीजेपी के संबंध अच्छे नहीं हैं. आंध्र प्रदेश में जगन रेड्डी का प्रदर्शन बहुत बढ़िया है. वे बीजेपी के प्रति आक्रामक भी नहीं हैं. केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश जैसे राज्य में बीजेपी का खाता अब तक नहीं खुल पाया है. इन राज्यों में बीजेपी अपने बूते आरंभ करना चाहती है. पीएम ने हाल के सालों में यहां खूब दौरे किए हैं.

लोगों को जोड़ने का कोशिश किया है. तमिल संगमम नामक कार्यक्रम वाराणसी और वडोदरा में आयोजित करने के पीछे मंशा यही थी कि तमिलनाडु के लोगों को जोड़ा जाए. तमिलनाडु में बीजेपी की क्षेत्रीय इकाई लगातार आक्रामक किरदार में है. आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू एनडीए का हिस्सा बन सकते हैं. वे पहले भी इस गठबंधन का हिस्सा रहे हैं.

एक-एक सीट का लेखा-जोखा

भारत रत्न एमएस स्वामीनाथन चेन्नई से आते हैं. वे बड़े कृषि वैज्ञानिक थे. हरित क्रांति में उनकी बड़ी किरदार है. मोटे अनाज को पहचान दिलाने में उनकी किरदार को इनकार नहीं किया जा सकता. चौधरी चरण सिंह की पहचान किसान नेता के रूप में ही है. पीवी नरसिंह राव आंध्र प्रदेश से आते थे और पीएम के रूप में आर्थिक उदारीकरण कि आरंभ उन्होंने ही की थी.

 

उनकी बोई हुई फसल आज भी हम काट रहे हैं. किसी से छिपा नहीं है कि लालकृष्ण आडवाणी राम मंदिर आंदोलन के बाद नायक के रूप में उभरे. आज मंदिर में रामलला विराजमान हैं. उनकी उपेक्षा से भाजपा के पुराने कार्यकर्ता कहीं न कहीं निराश थे. अब वे रीचार्ज हैं. इन सभी कोशिशों के पीछे संदेश और एक-एक सीट का लेखा-जोखा है. 400 का आंकड़ा पार करने की रणनीति है.

जयंत तो NDA में आ ही जाते, बात कुछ और

लोकसभा चुनाव की बात हो और सबसे अधिक 80 सीटों वाले यूपी की चर्चा महत्वपूर्ण है. चौधरी चरण सिंह को हिंदुस्तान रत्न के पीछे सिर्फ़ यह बात नहीं है कि उनके पोते की पार्टी को NDA का हिस्सा बनाना है. यह तो देर-सबेर हो ही जाना था. सपा-रालोद गठजोड़ टूटने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सपा कमजोर होगी.

भाजपा के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है. चौधरी चरण सिंह का फायदा किसान समुदाय को एकजुट करने में किंचित मददगार होगा. आंकड़ों में देखिए. वर्ष 2019 चुनाव पूरा विपक्ष मिलकर लड़ा तब समाजवादी पार्टी को 5, बीएसपी को 10 और कांग्रेस पार्टी को एक सीट मिली. इस बार सपा-बसपा भिन्न-भिन्न हैं. जयंत चौधरी की पार्टी का अब तक का सर्वोच्च प्रदर्शन 5 सीटों का ही रहा है. दो चुनाव तो ऐसे भी सामने आए जब पिता अजित-पुत्र जयंत, दोनों हार गए.

 

एनडीए का हिस्सा बनकर जहां रालोद को अधिक मिलने वाला है, वहीं सपा-बसपा कमजोर होंगे. पश्चिम यूपी से 27 में से 22 संसदीय सीटें पिछली बार भी भाजपा के पास थीं. राम मंदिर, ज्ञानवापी, कृष्ण जन्मभूमि, बुलडोजर बाबा जैसे इरादों से भाजपा उत्तर प्रदेश में विपक्ष को उखाड़ना चाहती है. इस वर्ष का चुनाव यूपी के आंकड़ों में रोचक होगा, इसमें किसी को संदेह नहीं होना चाहिए.

ब‍िहार से ज्‍यादा सीटें न‍िकालना मकसद

कर्पूरी ठाकुर ने मण्डल आंदोलन को हवा दी थी. उन्हें हिंदुस्तान रत्न देकर न सिर्फ़ पिछड़े वर्ग को जोड़ने का कोशिश होना तय है बल्कि एक और बड़े राज्य बिहार से अधिक से अधिक सीटें निकालना है. नीतीश के एनडीए का हिस्सा बनने के बाद यह काम और सरल हो गया है. अब जदयू-भाजपा-लोकजनशक्ति के दोनों गुट, मांझी जैसे लोग मिलकर एक साथ चुनाव लड़ने वाले हैं. एकजुटता का लाभ आदि काल से होता आया है तो इस बार भी होगा, इसमें किसी को शक नहीं होना चाहिए.

अभी और हो सकती हैं घोषणाएं

कोई बड़ी बात नहीं कि चुनाव घोषित होने से पहले हिंदुस्तान रत्न के रूप में कुछ और हस्तियां सम्मानित की जाएं. बसपा की मुखिया मायावती ने गुरुवार को घोषित तीन हिंदुस्तान रत्न सम्मान का स्वागत करते हुए अपने सोशल मीडिया एकाउंट एक्स पर कांशीराम को राष्ट्र का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने की मांग कर दी. यह मांग भी पूरी हो सकती है. हां, समय मौका और तारीख पीएम तय करेंगे क्योंकि बाबा साहब आंबेडकर के बाद कांशीराम दलितों के प्रतीक बनकर उभरे थे. यदि इन्हें भी हिंदुस्तान रत्न घोषित हो गया तो दलितों को जोड़ने के अनेक प्रयासों में से एक यह भी साबित हो सकता है. इस तरह बीजेपी ने हिंदुस्तान रत्न का ‘पंचामृत’ तैयार किया है, जो आम चुनाव में बंटेगा और इसके सहारे वह अपने लक्ष्य की ओर बढ़ेगी.

 

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