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इस वायरस ने मचाया केरल में तबाही ,जानें कैसे फैलता है संक्रमण

Nipah Virus: केरल में निपाह वायरस ने लोगों को भय में डाल दिया है इस बीच समाचार है कि हिंदुस्तान निपाह वायरस संक्रमण के उपचार के लिए ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की 20 और खुराक खरीदने का काम करेंगा भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के महानिदेशक राजीव बहल की ओर से यह जानकारी दी गई है

केरल में निपाह वायरस संक्रमण के मुद्दे बार-बार सामने आने और कोविड-19 संक्रमण के मुकाबले मौत रेट काफी अधिक होने के बीच राजीव बहल ने बोला कि आईसीएमआर इस संक्रामक रोग से निपटने के लिए एक वैक्सीन तैयार करने की भी योजना पर काम कर रहा है उन्होंने बोला कि निपाह में संक्रमित लोगों की मौत रेट बहुत अधिक है (40 से 70 फीसदी के बीच), जबकि कोविड-19 काल में मौत रेट 2-3 फीसदी थी

2018 में ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की कुछ खुराकें मिलीं

आगे आईसीएमआर के महानिदेशक राजीव बहल ने बोला कि हमें 2018 में ऑस्ट्रेलिया से मोनोक्लोनल एंटीबॉडी की कुछ खुराकें मिलीं वर्तमान में खुराकें सिर्फ़ 10 रोगियों के उपचार के काम में लाया जा सकता है हिंदुस्तान के बाहर निपाह वायरस से संक्रमित 14 रोगियों को मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दी गई और वे सभी बच गए हैं दवा के सुरक्षित होने को तय करने के लिए सिर्फ़ चरण-1 का परीक्षण बाहर किया गया है प्रभावक्षमता का परीक्षण नहीं किया गया है उन्होंने बोला कि इसे सिर्फ़ उन्हीं मरीजों को दिया जा सकता है, जिनके उपचार के लिये कोई अधिकृत संतोषजनक इलाज विधि नहीं है उनके मुताबिक, हिंदुस्तान में अब तक किसी को भी यह दवा नहीं दी गई है

 

आईसीएमआर के महानिदेशक ने कहा कि 20 और खुराक खरीदी जा रही हैं लेकिन संक्रमण के शुरुआती चरण में ही दवा देने की आवश्यकता है उन्होंने बल देकर बोला कि केरल में वायरस के प्रसार को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास की जा रही है उन्होंने बोला कि सभी रोगी ‘इंडेक्स मरीज’ (संक्रमण की पुष्टि वाले पहले मरीज) के संपर्क में आने से संक्रमित हुए हैं

जानें क्या है निपाह वायरस?

सेंटर फ़ॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की मानें तो निपाह वायरस के बारे में सबसे पहले 1998 में मलेशिया के कम्पंग सुंगाई निपाह से पता चला था यहीं से इसका नाम निपाह वायरस पड़ा उस समय कुछ सुअर के किसानों को मस्तिष्क में बुखार हुआ था इसलिए इस गंभीर रोग के वाहक सुअर को कहा गया सिंगापुर में भी इसके बारे में 1999 में पता चला था ये सबसे पहले सुअर, चमगादड़ या अन्य जीवों को प्रभावित करता है इसके बाद संपर्क में आने वाले मनुष्यों को भी चपेट में ये लेता है

कैसे फैलता है निपाह वायरस?

निपाह वायरस की बात करें तो ये संक्रमित चमगादड़, संक्रमित सूअरों या अन्य NiV संक्रमित लोगों से सीधे संपर्क के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है जो एक गंभीर इंफेक्शेन की श्रेणी में आता है यह इंफेक्शीन फ्रूट बैट्स या flying foxes के माध्यम से भी प्रसारित होता है जो हेंड्रा और नेपाह वायरस के प्राक्रतिक संग्रह के समुदाय हैं ये वायरस चमगादड़ के मूत्र, मल, लार और प्रसव तरल पदार्थ में उपस्थित होता है

निपाह वायरस संक्रमण के लक्षण क्या होते हैं जानें

-निपाह वायरस संक्रमण के शुरूआती दौर में सांस लेने में परेशानी होने लगती है वहीं आधे मरीज़ों में न्यूरोलॉजिकल दिक्कतें भी होती हैं

– बुखार, सिरदर्द, मानसिक भ्रम, उल्टी और बेहोशी निपाह वायरस से संक्रमित को परेशान करती है

 

– मनुष्यों में निपाह वायरस, encephalitis से जुड़ा हुआ है, जिसकी वजह से मस्तिष्क में सूजन होने लगती है

– संक्रमण के लक्षणों को सामने आने में आमतौर पर पांच से चौदह दिन लग सकते हैं

– संक्रमण बढ़ जाने से रोगी कोमा में भी जा सकता है और इसके बाद आदमी की जान भी जा सकती है

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