राष्ट्रीय

सीएम एकनाथ शिंदे और देवेन्द्र फडणवीस के बीच अब तक तीन दौर की हुई बातचीत

मुंबई . बीजेपी और शिवसेना के बीच ठाणे, पालघर, रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग, नासिक, संभाजीनगर और धाराशिव सहित छह लोकसभा सीटों को लेकर गतिरोध जारी है.

समस्या को सुलझाने के लिए सीएम एकनाथ शिंदे और देवेन्द्र फडणवीस के बीच अब तक तीन दौर की वार्ता हो चुकी है, लेकिन कोई सहमति नहीं बन पाई है. दोनों ही दल इन सीटों पर जीत की आसार का दावा करते हुए अपने रुख पर अडिग हैं. दोनों दलों के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि मुख्यमंत्री शिंदे और डिप्टी मुख्यमंत्री फडणवीस ने संकेत दिया है कि अब इसका निवारण केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के हस्तक्षेप के बाद ही निकल पाएगा.

इन छह सीटों में से, जून 2022 में विभाजन के बाद ठाणे पर शिवसेना यूबीटी का, पालघर पर शिवसेना (एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में) का, रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग पर शिवसेना यूबीटी का, नासिक पर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना का, हाल तक उस्मानाबाद कहे जाने वाले धाराशिव पर शिवसेना यूबीटी और संभाजीनगर पर एआईएमआईएम का कब्जा है.

भाजपा ने ठाणे, पालघर, रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग, संभाजीनगर और नासिक पर दावा किया है, जबकि शिंदे गुट भी इन सीटों पर अपना दावा ठोक रहा है. दोनों ही दल मोदी लहर और मोदी की गारंटी पर सवार होकर अपनी जीत की संभावनाओं का दावा करते हैं.

सीएम शिंदे प्रतिष्ठा का प्रश्न मानकर ठाणे सीट छोड़ने को तैयार नहीं हैं. ठाणे मुख्यमंत्री शिंदे का गृह क्षेत्र है. दूसरी ओर, बीजेपी का बोलना है कि शिवसेना में विभाजन के बाद, शिंदे गुट के पास शिवसेना यूबीटी के वर्तमान सांसद राजन विचारे को भिड़न्त देने के लिए कोई मजबूत उम्मीदवार नहीं है.

उद्योग मंत्री उदय सामंत और उनके भाई किरण सामंत का रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग सीट बीजेपी के लिए न छोड़ने को लेकर मुख्यमंत्री शिंदे पर भारी दबाव है. उनका बोलना है कि इस सीट पर अपनी पार्टी का उम्मीदवार खड़ा करना चाहिए. लेकिन बीजेपी के पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे स्वयं इस सीट से उम्मीदवार बनने को इच्छुक हैंं. उन्हें आशा है कि वह यह सीट शिवसेना यूबीटी से छीन सकते हैं.

पालघर में भी बीजेपी अपनी बढ़ती उपस्थिति के साथ-साथ आरएसएस और उससे जुड़े संगठनों के काम के कारण जीतने को लेकर आश्वस्त है. बीजेपी को पालघर में हितेंद्र ठाकुर के नेतृत्व वाली बहुजन विकास अघाड़ी से समर्थन की आशा है.

इसी तरह, हाल तक औरंगाबाद कहे जाने वाले संभाजीनगर में शिंदे गुट ने पार्टी के मंत्री संदीपन भामरे या मराठा आरक्षण आंदोलन के कार्यकर्ता विनोद पाटिल को उम्मीदवार बनाने पर विचार कर रहा है. दूसरी ओर, बीजेपी भी इस सीट पर अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है. पार्टी का मानना है कि वह विभाजित विपक्ष और शिवसेना यूबीटी की गुटबाजी का लाभ उठा सकती है. केंद्रीय मंत्री भागवत कराड संभाजीनगर में बीजेपी के संभावित उम्मीदवार हैं. शिवसेना यूबीटी ने पूर्व सांसद चंद्रकांत खैरे को अपना उम्मीदवार बनाने की घोषणा की है.

इसके अलावा, अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा के नासिक पर दावे ने सीट-बंटवारे की प्रक्रिया को और अधिक जटिल बना दिया है. राकांपा मंत्री और समता परिषद के संस्थापक छगन भुजबल ने दावा किया है कि उनकी उम्मीदवारी का प्रस्ताव किसी और ने नहीं, बल्कि बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने किया है. मौजूदा सांसद हेमंत गोडसे ने सीट-बंटवारे की प्रतीक्षा किए बिना अपना अभियान प्रारम्भ कर दिया है, जबकि भुजबल को अपनी पार्टी से टिकट मिलने का भरोसा है.

भुजबल ने साफ कर दिया है कि वह नासिक सीट पर बीजेपी के कमल पर नहीं, बल्कि अपनी पार्टी के घड़ी चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ेंगे. लेकिन बीजेपी उनका समर्थन नहीं कर रही.

जहां तक धाराशिव सीट का प्रश्न है, शिवसेना यूबीटी ने पहले ही मौजूदा सांसद ओमराजे निंबालकर को अपना उम्मीदवार बनाया है. उन्होंने चुनाव प्रचार भी प्रारम्भ कर दिया है. यहां से बीजेपी की ओर से पार्टी विधायक और पूर्व मंत्री राणा पाटिल के मैदान में उतरने की आसार है. जबकि शिंदे गुट को एक उपयुक्त उम्मीदवार ढूंढना कठिन हो रहा है, जो ओम राजे निंबालकर को भिड़न्त दे सके. अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा को धाराशिव सीट मिलने की आशा है. इसके लिए पार्टी ने पहले ही तीन नामों को शॉर्टलिस्ट कर लिया है. इनमें पार्टी विधायक सतीश चव्हाण और विक्रम काले और जिला पदाधिकारी सुरेश बिराजदार शामिल हैं.

 

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