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X पर चिदंबरम की पोस्ट पर भड़के यूजर्स, आरक्षण की राह में रोड़े अटकाने का लगाया आरोप

नई दिल्ली: देश में लोकसभा चुनाव जारी है. इस सबके बीच कांग्रेस पार्टी लगातार भाजपा पर इस बात को लेकर धावा बोल रही है कि वह संविधान को बदलना चाहते हैं और राष्ट्र से आरक्षण समाप्त करना चाहते हैं. जबकि, दूसरी तरफ भाजपा कांग्रेस पार्टी पर निशाना साधते हुए यह कह रही है कि कांग्रेस पार्टी OBC कोटे में मुसलमानों को शामिल कर उन्हें आरक्षण का फायदा दे रही है. हालांकि सोशल मीडिया पर अनेक लोगों ने कांग्रेस पार्टी पर आरक्षण की राह में रोड़े अटकाने का इल्जाम लगाया है.

चिदंबरम ने कहा कांग्रेस पार्टी ने कब-कब लागू किया आरक्षण

इस सब के बीच कांग्रेस पार्टी के नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा, ‘जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट थी, जिसने 1951 में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण प्रदान करने वाले संविधान में पहला संशोधन पारित किया था. इसके बाद पीवी नरसिम्हा राव के नेतृत्व वाली कांग्रेस पार्टी गवर्नमेंट थी, जिसने 1994 में केंद्र गवर्नमेंट की नौकरियों में OBC के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू किया था. वहीं, कांग्रेस पार्टी की चिकित्सक मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली गवर्नमेंट थी, जिसने 2006 में केंद्र गवर्नमेंट के शैक्षणिक संस्थानों में ओबीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू किया था.

चिदंबरम के X पोस्ट पर अनेक लोगों ने दी प्रतिक्रिया 

उन्होंने आगे लिखा,’अब तक केंद्र में जितनी सरकारें उसके बाद आईं, उन्होंने आरक्षण पर कांग्रेस पार्टी की नीति का ही पालन किया.आरक्षण की 50 फीसदी की सीमा एक न्यायिक फैसला था. कई राज्यों में इसका उल्लंघन हुआ है. कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र 2024 में वादा किया है कि कांग्रेस पार्टी या कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली गवर्नमेंट आरक्षण के लिए 50 फीसदी की सीमा को हटा देगी.‘ इस पर अब सियासी प्रतिक्रिया के साथ ही लोगों की प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं. लोग पी चिदंबरम के पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कह रहे हैं कि यह नेहरू ही थे, जिन्होंने एससी और एसटी के लिए आरक्षण का साफ रूप से विरोध करते हुए मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था.

‘केलकर समिति की सिफारिश को ठंडे बस्ते में डाला गया’

सोशल मीडिया पर लोगों ने बोला कि नेहरू ने अपने पत्र में लिखा था, ‘यह सच है कि हम अनुसूचित जातियों और जनजातियों की सहायता करने के बारे में कुछ नियमों और परंपराओं से बंधे हैं. वे सहायता के पात्र हैं, लेकिन, फिर भी, मैं किसी भी तरह के आरक्षण को नापसंद करता हूं, खासकर सेवा में मैं दोयम दर्जे के इस मानक के विरुद्ध कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करता हूं, जो अक्षमता की ओर ले जाती है.’ लोग आगे लिख रहे हैं कि यह कांग्रेस पार्टी ही थी, जिसने 1957 में की गई केलकर समिति की सिफारिश (पिछड़ा आयोग के लिए) को तब तक ठंडे बस्ते में डाल दिया जब तक कि प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2018 में कांग्रेस पार्टी के विरोध के बावजूद OBC आयोग को कानूनी दर्जा नहीं दे दिया.

‘राजीव गांधी ने किया था OBC आरक्षण का पुरजोर विरोध’

लोगों ने यह भी बोला कि यह कांग्रेस पार्टी ही थी, जिसने 1983 में बनी मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू नहीं कीं. अंततः भाजपा समर्थित गवर्नमेंट ने इसे 1990 में लागू किया. वह राजीव गांधी ही थे, जिन्होंने 1990 में ओबीसी आरक्षण का पुरजोर विरोध किया था. इसके साथ ही लोगों ने लिखा कि, ‘यह कांग्रेस पार्टी ही है, जिसने डाक्टर अंबेडकर की आलोचना की और उन्हें हराने और उनके संसद में प्रवेश को रोकने के लिए हर संभव कोशिश किया. यह कांग्रेस पार्टी ही है जिसने गांधी परिवार के हाथों सीताराम केसरी जैसे पिछड़े नेता को अपमानित किया. यह राहुल गांधी ही हैं, जिन्होंने 2019 के भाषण में पूरे पिछड़े समुदाय को गाली दी थी और जिसके लिए उन्हें न्यायालय ने गुनेहगार भी ठहराया था.

‘आरक्षण में रोड़े अटकाने से भरा पड़ा है कांग्रेस पार्टी का इतिहास’

उन्होंने लिखा, ‘यह कांग्रेस पार्टी ही है, जिसने 2004-10 के बीच आंध्र प्रदेश में मुसलमानों को उनके आरक्षण में से कुछ हिस्सा देकर ओबीसी को विश्वासघात देने की प्रयास की थी. केंद्र में कांग्रेस पार्टी की गवर्नमेंट ने ही 2011 में मुसलमानों को उनके कोटे का एक हिस्सा देकर ओबीसी को विश्वासघात देने की प्रयास की थी. यह कांग्रेस पार्टी ही है, जिसने कर्नाटक में पूरे मुसलमान समुदाय को ओबीसी का नाम दिया है, जिससे ओबीसी को उनकी पूरी हिस्सेदारी से वंचित कर दिया गया है.’ इन सब बातों के लिए जरिए लोग बता रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी का इतिहास एससी, एसटी और ओबीसी के लिए कोटा में बाधा डालने से भरा पड़ा है.

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