महिलाओं के क्रिकेट बैट पुरुषों से क्यों होते हैं अलग…
क्रिकेट के मैदान में महिलाएं लगातार तहलका मचा रही हैं। मर्दों की तरह ही महिलाएं भी कलाइयों का बेहतर इस्तेमाल करते हुए चौके-छक्के कीबरसात करते हुए नजर आती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं मर्दों के मुकाबले स्त्रियों के लिए तैयार होने वाले बैट में कारीगर को अधिक काम करना पड़ता है। दरअसल, मशीन के जरिए सभी प्रकार के बल्ले एक सामान बनते हैं। लेकिन उसके बाद स्पोर्ट्स कारीगर क्रिकेट नियम के भीतर बैट को निखारने का काम करते हैं।
सुरजकुंड स्पोर्ट्स बाजार के अध्यक्ष अनुज कुमार सिंघल बताते हैं। मेरठ में जो भी स्पोर्ट्स सामग्री तैयार की जाती हैं। वह सभी बीसीसीआई और आईसीसीआई के नियमों के भीतर ही तैयार होती है। ऐसे में स्त्रियों के लिए तैयार होने वाले बल्ले की बात की जाए तो मर्दों के मुकाबले इसका वजन कम होता है। पुरुष के लिए तैयार होने वाले बल्ले का वजन जहां 1 किलो 200 ग्राम रहता है। वहीं स्त्रियों के लिए जो बल्ले तैयार किए जाते हैं। उनका वजन 1 किलो 100 ग्राम रहता है।
लंबाई भी कम
वहीं एक और स्पोर्ट्स व्यापारी शोभित त्यागी कहते हैं स्त्रियों के लिए तैयार होने वाले बल्ले में वजन के साथ-साथ उसकी हाइट भी कम रहती है। उन्होंने कहा की इन बल्ले की बात की जाए तो यह 33 इंच लम्बाई वाला होता है। वहीं मर्दों के बल्ले की लंबाई 38 इंच रहती है।
रेट में नहीं होता कोई अंतर
शोभित त्यागी कहते हैं भले ही मर्दों के मुकाबले स्त्रियों के लिए तैयार होने वाले बल्ले का वजन 100 ग्राम कम रहता हो। लेकिन इसके दर में अंतर इसलिए नहीं होता। क्योंकि लकड़ी को पर्याप्त मात्रा में ही इस्तेमाल किया जाता है। स्त्रियों के लिए जो बल्ले तैयार किए जाते हैं। उसमें घिसाई सहित अन्य कार्य अधिक करने होते हैं। जिससे कि स्त्रियों के अनुरूप बल्ले को तैयार किया जा सके।बताते चलें कि पहले की तुलना में अब स्पोर्ट्स बाजार में अभिभावक अपनी बेटियों के लिए बल्ले अधिक खरीदते हुए दिखाई दे रहे हैं। वहीं विभिन्न एकेडमी में भी अब बेटियों की संख्या में वृद्धि देखने को मिल रही है। व्यापारी इसमें सबसे अधिक अहम सहयोग वूमेन इंडियन प्रीमियर लीग का मानते हैं।