कन्नौज से सपा मुखिया अखिलेश यादव के खुद चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर…
Interview of बीजेपी candidate from Kannauj Subrata Pathak: इत्रनगरी कन्नौज में भाजपा ने अपने सांसद सुब्रत पाठक को एक बार फिर मैदान में उतारा है वही सपा ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. इस सीट से समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव के स्वयं चुनाव लड़ने की चर्चा जोरों पर है लेकिन उन्होंने भी अब तक सस्पेस बनाकर रखा है. कन्नौज सीट पर नामांकन 18 अप्रैल से चालू है. 25 अप्रैल पर्चा भरने की आखिरी तारीख है. इस बीच सांसद सुब्रत पाठक जोरशोर से चुनाव प्रचार में जुटे हैं लेकिन पर्चा भरने के लिए उन्होंने जो तारीख मुकर्रर कर रखी है वो है 25 अप्रैल. यानी भाजपा से उम्मीदवारी के घोषणा के बावजूद सुब्रत नामांकन भरने के लिए अंतिम दिन तक प्रतीक्षा करेंगे. क्या है इसके पीछे की रणनीति, क्या इस बार भी कन्नौज में पिछले कई चुनावों जैसा ही होगा दिलचस्प मुकाबला और क्या हैं इत्रनगरी के असल मुद्दे? ऐसे अनेक प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए लाइव हिन्दुस्तान’ के संपादक प्रभाष झा ने कन्नौज के भाजपा कैंडिडेट सुब्रत पाठक से वार्ता की. इस वार्ता की आरंभ में ही सुब्रत पाठक ने बोला कि कन्नौज में मुकाबला रोचक तभी होगा जब अखिलेश यादव स्वयं यहां से मैदान में उतरें.
अब तक समाजवादी पार्टी से कोई उम्मीदवार नहीं आया है, ऐसे में कैसी चल रही है चुनाव की तैयारी? इस प्रश्न के उत्तर में सुब्रत पाठक ने बोला कि बीजेपी की तैयारी पहले से थी. राष्ट्र ही नहीं दुनिया के सबसे लोकप्रिय नेता के संचालन में हम लोग चुनाव लड़ रहे हैं. जनता का विश्वास साफ दिख रहा है. भाजपा बड़ी जीत की ओर बढ़ रही है. क्या लग रहा है अखिलेश यादव वाकई यहां से चुनाव लड़ेंगे या फिर इसकी चर्चा भर है? इस प्रश्न पर सुब्रत पाठक ने बोला कि यहां चुनाव तो अखिलेश ही लड़ सकते हैं, दूसरा कोई नहीं. वैसे भी यहां चुनाव उन्हीं से हो रहा है. 2009 का चुनाव तो मैंने अखिलेश यादव के विरुद्ध ही लड़ा था. 2014 में वह मुख्यमंत्री थे और उन्होंने डिंपल जी को यहां से चुनाव लड़ाया था. 2019 का चुनाव डिंपल जी ने सपा-बसपा गठबंधन से चुनाव लड़ा था. तब मैं अखिलेश जी, डिंपल जी और मायावती जी तीनों से लड़ा था. कुल मिलाकर यहां की जनता को रोचक चुनाव में मजा आता है. मैं समझता हूं कि अखिलेश जी लड़ेंगे तो ही यहां का चुनाव रोचक होगा नहीं तो फिर वही स्थिति होगी जैसी हिंदुस्तान और नेपाल का क्रिकेट मैच हो रहा हो.
सपा के राज में यहां एक परफ्यूम पार्क बनाने की बात हुई थी, उसका क्या हाल है? इस प्रश्न पर सुब्रत पाठक ने बोला कि परफ्यूम का कन्नौज से कोई लेना-देना नहीं है. कन्नौज इत्र के लिए जाना जाता है. इत्र नेचुरल होता है. परफ्यूम सिंथेटिक और केमिकल बेस्ड होता है. इत्र को हम लोगों ने वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट योजना के अनुसार लिया. इस पर मुख्यमंत्री जी से चर्चा हुई. इत्र पार्क के जमीन का अधिग्रहण हुआ. वहां सारी चीजें लगभग फाइनल हैं. प्लॉट्स के आवंटन का कुछ इशू था. व्यापारियों का बोलना था कि दर ज्यादा है. उनका बोलना था कि कम से कम आधा दर हो जाएगा तो हम सरलता से ले लेंगे. इस पर मुख्यमंत्री जी की सहमति मिल गई थी लेकिन तब तक चुनाव आचार संहिता लग गई. विश्वास है कि चुनाव बाद इस पर तेजी से काम होगा और इत्र पार्क प्रारम्भ हो जाएगा.
युवाओं के बीच बेरोजगारी को लेकर आम कम्पलेन है? इस पर आप लोगों की क्या खास योजना है? केंद्र में मोदी गवर्नमेंट आने के बाद रोजगार के मामले पर हमने कई काम किए. हजारों नौजवानों को रोजगार मेलों के जरिए रोजगार मिला. पिछली सरकारें इस मोर्चे पर पूरी तरह असफल रहीं. भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा. 70 वर्ष का गड्डा एक दिन में नहीं भर सकता. पहले यहां गुंडा राज था. आज एक माहौल बना है. इंडस्ट्री आ रही है. युवाओं के लिए मामला योजना, स्टार्ट अप योजना, स्टैंड अप जैसी कई योजनाएं हैं. कोविड-19 के बाद रेहड़ी और पटरी व्यवसायी टूट से गए थे. उनको व्यापार में फिर से खड़ा करने के लिए पीएम स्वनिधि योजना है. जिले में 29 से अधिक कोल्ड स्टोरेज बन रहे हैं. एक में कम से कम 500 लोगों को रोजगार मिलेगा. एक्सप्रेस वे के बगल में इंडस्ट्रीयल हब स्वीकृत हुआ है. जमीन अधिग्रहण प्रारम्भ हो गया है. निवेश आएगा तो रोजगार बढ़ेगा.
पेपर लीक जैसे काण्ड नहीं रुके, इससे युवा वर्ग में निराशा है, इस प्रश्न पर सुब्रत पाठक ने बोला कि पेपर लीक को रोकने के लिए संसद में कानून बना है. हमारी गवर्नमेंट ने पूरी प्रयास की है. लेकिन जिन्होंने सेंध लगाई है उन्हें ऐसी सजा मिलेगी कि पीढ़ियों तक ऐसा करने की हिम्मत नहीं करेंगे. सांसद ने बोला कि पूर्व की सरकारों में सफेदा लगाकर हो जाता था, हम लोग वैसा नहीं कर सकते. परीक्षा रद्द न करते तो कितने बच्चो के साथ अन्याय हो जाता. सिस्टम में ये लोग इतना घुसे हैं. 15 वर्ष के दौरान भ्रष्टाचार का नंगा नाच उत्तर प्रदेश में हुआ है. अभी भी गंदगी थोड़ी बहुत बची है. हम सफाई कर रहे हैं.
रानी अवती बाई लोध की प्रतिमा स्थापना को लेकर लोध समाज में नाराजगी के प्रश्न पर सांसद सुब्रत पाठक ने बोला कि समाजवादी पार्टी के पास कोई मामला नहीं है तो अनावश्यक चीजों को तूल दे रहे हैं. हमारे विधायक कैलाश राजपूत जी ने प्रतिमा लगवाई तो समाजवादी पार्टी के ही किसी व्यक्ति ने कम्पलेन कर दी. शासन की अनुमति नहीं थी तो स्वाभाविक रूप से प्रशासन ने हस्तक्षेप किया. प्रतिमा हटाने का समाज के युवा विरोध कर रहे थे. समझा-बुझाकर सबको मनाया गया. आचार संहिता लगने के दो दिन पहले शासन से अनुमति लेकर प्रतिमा वहां स्थापित करा दी गई. इसके बाद समाजवादी पार्टी वाले कहने लगे कि बीजेपी वालों ने प्रतिमा हटवा दी. असत्य गढ़ना और अनावश्यक तूल देना ही उनके पास रह गया है. आपने कौन से ऐसे पांच काम किए जिसके आधार पर जनता आपको दोबारा सांसद के रूप में चुने? इस प्रश्न पर सुब्रत पाठक ने कई काम गिनाये. उन्होंने बोला कि हमने 5 हजार दिव्यांगों को ई-रिक्शा दिलवाकर उनके जीवन में परिवर्तन लाया. 10 से अधिक अन्य दिव्यांगों को अन्य उपकरण दिलाए. हमारे कोशिश से छह लंबी दूरी की ट्रेनें कन्नौज में रुकने लगीं. वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन को हरी झंडी मिल चुकी है. झींझक में ओवरब्रिज सहित कई काम उन्होंने गिनाए. इसके अतिरिक्त गवर्नमेंट द्वारा किए कामों का विस्तार से उल्लेख किया. इसमें विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में हर घर नल की व्यवस्था, कन्नौज से गुजरने वाली जीटी रोड को बहुत बढ़िया एक्सप्रेस वे में बदल जाने, लोकसभा क्षेत्र में 60 हजार से अधिक पक्के मकान, ढाई लाख से अधिक शौचालय, उज्जवला योजना के अनुसार कनेक्शन, अमृत सरोवरों का निर्माण, सड़कों और पुलों के निर्माण के अतिरिक्त कानून व्यवस्था का विशेष रूप से जिक्र किया.
छुट्टा पशुओं से किसानों को हो रही कठिनाई के पीछे सांसद सुब्रत पाठक ने सपा समर्थकों को जिम्मेदार ठहरा दिया. उन्होंने इल्जाम लगाया कि रात के वक्त जानबूझकर तानाशाही पैदा करने के लिए पशु छुट्टा छोड़े जाते हैं. उन्होंने बोला कि गायों के लिए रखवाली की व्यवस्था हो गई है. सांड़ों के लिए भी कोशिश किया जा रहा है. गवर्नमेंट ने हर जिले में काऊ सफारी की योजना बनाई है. कुल मिलाकर इस राष्ट्र में कभी प्लानिंग से काम नहीं हुआ. खाली लूट हुई है. आज उन लोगों को इसका हिसाब देना पड़ रहा है. कार्रवाईयां हो रही हैं. पर्चा दाखिले के लिए आखिरी दिन का प्रतीक्षा क्यों? इस प्रश्न को टालने की भरपूर प्रयास करने के बाद सांसद ने बोला कि पार्टी ने क्या तय किया, हम तो डिसाइड नहीं कर सकते. हमसे कहा गया है कि 25 को नामांकन करें तो हम 25 को ही नामांकन करेंगे.