बेहद मुनाफे वाली है यह खेती, लाखों में होती है कमाई
फर्रुखाबाद: यूं तो सूबे में फर्रुखाबाद को आलू उत्पादन के लिए जाना जाता है। लेकिन अब यहां के किसानों ने खेती के क्षेत्र में ऐसे बदलाव किए हैं, जिससे वह बंपर कमाई कर रहे हैं। किसान पहले के मुकाबले अब काफी सतर्क हो गए हैं। वह खेती में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। अब किसान पारंपरिक खेती के अतिरिक्त नगदी फसलों पर भी विशेष ध्यान दे रहे हैं। जिसके कारण कमाई के रास्ते भी खुल गए हैं। जिससे वह मोटी कमाई कर रहे हैं।
किसान ब्रज मोहन बताते हैं कि वह बचपन से ही वह आलू और धान की खेती करते आ रहे हैं। जिससे उन्हें हर बार हानि ही होता था। लेकिन जब से केले की खेती प्रारम्भ की है, तब से वह प्रत्येक बीघा में एक लाख रुपए की सरलता से कमाई कर रहे हैं। वहीं किसान का बोलना है कि इस फसल से उन्हें आज तक हानि नहीं हुआ बल्कि सरकारी जॉब करने वाले आदमी से अधिक फायदा हो जाता है। किसान ने कहा कि आमतौर पर प्रति बीघा दस से पंद्रह हजार रुपए की लागत आती है।
लाखों में होती है कमाई
कमालगंज क्षेत्र के सुमितापुर गांव निवासी किसान ब्रजमोहन ने कहा कि जब केले की फसल पकने को तैयार होती है, तो इससे निकलने वाली फलियों को वह क्षेत्रीय बाजार और अन्य बाजारों में प्रति फलियां चार से पांच सौ तक की बिक्री करते हैं। जिससे उन्हें एक बीघा में लगभग एक लाख रुपए का फायदा हो जाता है। वहीं केले की नर्सरी अपने खेतों में लगाने के बाद उसमें समय पर सिंचाई और जैविक खाद डालकर तीन महीने में तैयार कर लेते हैं।
इस फसल से है दोगुना लाभ
पौधों से फल निकालने के बाद इसके तने और जड़ को खेत में ही डाल देते हैं। यह जैविक उर्वरक के रूप में प्रयोग में आता है । क्षेत्र के किसान अपने खेतों में उन्नति प्रजाति की केले की फसल उगा रहे हैं। जिससे उनको अच्छी खासी कमाई हो रही है। वह भी कम लागत में। प्रति बीघा दस से पंद्रह हजार रुपए लागत आती है। वहीं केले की खेती करने वाले किसान बताते हैं कि वह लगातार कई सालों से यह फसल करते आ रहे हैं। इससे उन्हें कभी भी हानि नहीं बल्कि लाखों रुपए का लाभ ही हुआ है।
क्या है खेती का तरीका
किसान ने कहा कि वह सबसे पहले खेत को अच्छे से समतल करके इसमें क्यारियां बनाकर पहले से तैयार किए गए केले के पौधों को प्रति दो मीटर पर एक पौधों को रोप देते हैं। समय से इसमें सिंचाई करते हैं। इसके बाद जब पौधे बड़े होने लगते हैं, तो इन पौधों को सहारा देने के लिए इन्हें सीमेंट के खंभों से अच्छी तरह बांधकर सीधा रखते हैं। जिससे तेज हवा और आंधी में पौधे को हानि नहीं पहुंचता है।