मेरठ में ट्रैफिक नियमों की अनदेखी करने वाले चालान से बचने के लिए काले जादू का ले रहे हैं सहारा
मेरठ में ट्रैफिक नियमों की अनदेखी करने वाले चालान से बचने के लिए काले जादू का सहारा ले रहे हैं। पुराने समय मे लोग अपने वाहनों को बुरी नजर से बचाने के लिए चोटी, चप्पल जैसे टोटकों का सहारा लेते थे। अब यह फार्मूला चौराहे पर मनमानी करने और चालान से बचने में प्रयोग किया जा रहा है। गंगाजल की बोतल भी नंबर प्लेट छिपाने के लिए प्रयोग में लाई जा रही है।
शहर के ट्रैफिक में सुधार लाने के लिए दिल्ली की तर्ज पर प्रबंध बनाई गई। आठ चौराहों को आइटीएमएस से तैयार किया गया। रेड लाइट, जेबरा क्रॉसिंग का उल्लंघन करने वालों पर कार्यवाही प्रारम्भ हुई तो हड़कंप मच गया। अब चौराहे से बचकर निकलने के लिए अनेक गाड़ी चालक अपनी नंबर प्लेट को ढंकने लगे हैं। उन्होंने इसके लिए चोटी, चप्पल, छोटी केन का सहारा लेना प्रारम्भ कर दिया है। ई-रिक्शा की नंबर प्लेट पर कपड़ा टांग कर भी नंबर छिपाया गया।
अधूरे नंबर पर नहीं कटता चालान
आइटीएमएस चौराहों पर लगे कैमरे नियम तोड़ने वाले वाहनों को पकड़ लेते हैं। इसके बाद कंट्रोल रूम में उपस्थित स्टॉफ कैमरे में कैद फोटो से चालान बनाकर गाड़ी स्वामी के नंबर पर भेज देते है। नंबर साफ नहीं दिखेगा या अधूरा होगा तो चालान नहीं बन पाएगा। इसलिए प्लेट छिपा दी जाती है। चोटी, चप्पल और बोतल का उद्देश्य केवल नंबर छिपाना है।
मेरठ, एसपी ट्रैफिक, राघवेन्द्र कुमार मिश्र ने इस बारे में जानकारी देते हुए बोला कि ऐसे वाहनों को चिन्हित कर कार्यवाही की जाएगी। किसी को नियम तोड़ने का अधिकार नहीं है। जल्द शहर में ट्रैफिक पुलिस अभियान चलाकर ऐसे वाहनों को सीज करेगी। आइटीएमएस शहर की ट्रैफिक प्रबंध का जरूरी हिस्सा हैं।
शहर में 25 हजार ई रिक्शा
शहर की ऐसी कोई सड़क नहीं, जिस पर ई रिक्शा चालकों का अतिक्रमण न हो। आरटीओ में दर्ज़ 15 हजार ई रिक्शा को मिलाकर कुल 25 हजार ई रिक्शा हैं।