उत्तर प्रदेश

सरसों की फसलों के लिए काल है ये कीड़ा, ऐसे करें बचाव

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में पिछले एक हफ्ते से मौसम में परिवर्तन आ गया है लोगों को कड़कड़ाती ठंड का एहसास होने लगा है ऐसे में कठिनाई यह है कि इसका सरसों के फसल पर वीपरीत असर पड़ेगा देखभाल में ढिलाई बरतने पर फसल में कई तरह की रोग आनी प्रारम्भ हो जाएगी जिससे पैदावार भी प्रभावित हो सकती है जिला कृषि अधिकारी डाक्टर अवधेश कुमार यादव से जानिए कि किसान फसलों में लगने वाली रोंगों से कैसे बचाव करें, ताकि बाद में कठिनाई में न आए

जिला कृषि अधिकारी डाक्टर अवधेश कुमार यादव ने कहा कि मिर्जापुर में सरसों की खेती के लिए 3483 हेक्टेयर का टारगेट निर्धारित था लेकिन जिले में इससे अधिक खेती की गई है इस समय सरसों के फसल में फूल लग रहा है ऐसे में कोहरे के साथ ठंड फसल के लिए हानिकारक साबित हो सकता है इस मौसम में सरसों की फसल में माहो बीमारी होने का खतरा रहता है इसका प्रकोप दिसंबर महीने के आखिरी हफ्ते से प्रारम्भ होता है और मार्च तक बना रहता है ऐसे में यदि आरंभ में इस बीमारी से फसल को ना बचाया जाए तो यह पूरी फसल बर्बाद कर सकता है माहू कीट का रंग हरा, काला और पीला होता है यह पौधे की पत्ती, शाखा, फूल और फलियों पर चिपक जाता है और उनका रस चूस कर पौधे को सूखा देता है बाद में पौधा पीला पड़ने लगता है बचाव न किया जाए तो पौधे की मृत्यु हो जाती है माहू कीट का जीवनकाल महज एक हफ्ते का होता है मगर इसकी प्रजनन रेट बहुत अधिक है | एक अनुमान के मुताबिक यह 24 घंटे में ही 80 हजार बच्चे पैदा कर देता है

माहू कीट पर नियंत्रण के लिए करें ये उपाय
जिला कृषि अधिकारी डाक्टर अवधेश कुमार यादव ने कहा कि यदि किसान भाइयों को माहो बीमारी नजर आता है तो आरंभ में ही इससे प्रभावित हिस्से को अथवा उस पौधे को तोड़कर नष्ट कर दें कोहरा होने पर यह बीमारी बहुत तेजी से फैलता है माहू कीट पर नियंत्रण के लिए दो फीसदी नीम का ऑयल का स्प्रे करना भी फरयदेमंद रहता है इसके अतिरिक्त वर्टिसिलियम लेकानी जैव कारक का छिड़काव भी लाभ वाला रहता है साथ ही ऑक्सिडिमेटॉन मिथाईल या डाइमेथोएट नामक कीटनाशक का छिड़काव करें

बुवाई से पहले करें ये उपाय
जिला कृषि अधिकारी डाक्टर अवधेश कुमार यादव ने कहा कि यदि किसान फसलों की बुवाई से पहले बीज इलाज और भूमि इलाज करें तो हम अपने फसल को बीमारी और कीटों से बचा सकते हैं इसके लिए शासन द्वारा सब्सिडी पर ट्राइकोडर्मा जैविक नियंत्रण दिया जाता है प्रत्येक ब्लॉक पर बीज भंडार होता है, कृषि रक्षा इकाई भी है यदि किसान भाई कम्पलेन करते है तो संबंधित अधिकारी मौके पर पहुंच कर निरीक्षण करते है, और जो भी आवश्यकता की इलाज होता है वो कहा जाता है

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