उत्तर प्रदेश

बाराबंकी समीकरण : कांटे की जंग लड़ रहे बीजेपी-सपा और बसपा के उम्‍मीदवार

Barabanki Lok Sabha Seat Equation: बाराबंकी को ईश्वर बराह के पुनर्जन्‍म की धरती माना जाता है. इसे पूर्वांचल का प्रवेश द्वार कहते हैं. मान्‍यता है कि ईश्वर बराह के नाम पर इस शहर को ‘बानहन्या’ बोला जाने लगा और यही नाम आगे चलकर बाराबंकी हो गया. यह कई साधु-संन्‍यासियों की तपस्‍थली रही है. यह धरती साहित्यिक बुद्धिजीवियों की साधना स्‍थली और स्वतंत्रता सेनानियों के लिए युद्धक्षेत्र रही है. कांवड़ियों की तीर्थयात्रा का जगह महादेवा, महाभारत का कुरुक्षेत्र पारिजात वृक्ष और महाभारत युग के कुछ अंश भी यहां मौजूद हैं. बाराबंकी में देवा शरीफ की मशहूर दरगाह भी है.

2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बाराबंकी में राजनीतिक हलचलें तेज हैं. यह अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित सीट है. भाजपा ने पहले यहां से वर्तमान सांसद उपेन्‍द्र सिंह रावत को टिकट दिया था लेकिन उनका कथित अश्‍लील वीडियो वायरल होने के बाद वह चुनाव से पीछे हट गए. इसके बाद भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष राजरानी रावत को मैदान में उतारा. वहीं कांग्रेस-सपा गठबंधन ने पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया को उतारकर युवाओं को संदेश देने की प्रयास की है. तनुज कांग्रेस पार्टी के टिकट पर इस सीट से दूसरी बार ताल ठोंक रहे हैं. वह वर्ष 2019 में भी इस सीट से लोकसभा चुनाव लड़े थे लेकिन हार गए थे. वहीं राजरानी रावत का भी यह दूसरा लोकसभा चुनाव है. वह 2014 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं. उस चुनाव में वह हार गई थीं.

सियासी इतिहास 
पहले बाराबंकी को कांग्रेस पार्टी का गढ़ माना जाता था लेकिन बाद में बीजेपी और सपा दोनों ने यहां अपना-अपना मजबूत आधार तैयार कर लिया. आजादी के बाद से अब तक इस सीट पर 17  बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. इनमें से छह बार कांग्रेस पार्टी और तीन बार बीजेपी को जीत मिली. समाजवादी पार्टी और बीएसपी के उम्‍मीदवार भी यहां से जीत हासिल कर चुके हैं. 1952 में हुए पहले चुनाव में कांग्रेस पार्टी के मोहनलाल सक्सेना को यहां से जीत मिली थी. 1989, 1991 और 1996 में भिन्न-भिन्न पार्टियों से ताल ठोंक कर इस सीट से जीत हासिल की थी. बाराबंकी में बीजेपी का खाता 1998 में खुला था. उस चुनाव में भाजपा उम्‍मीदवार बैजनाथ रावत ने यहां से जीत हासिल की थी. इसके बाद सपा उम्‍मीदवार के तौर पर राम सागर रावत ने यहां से जीत दर्ज की. 2004 के चुनाव में यहां से बसपा के कमला प्रसाद की जीत हुई. 2009 के चुनाव में पीएल पुनिया ने 25 वर्ष बाद इस सीट पर कांग्रेस पार्टी की वापसी कराई लेकिन 2014  की मोदी लहर में भाजपा की प्रियंका रावत ने इस सीट पर भगवा फहरा दिया. 2019 के चुनाव में उपेन्‍द्र सिंह रावत ने जीत हासिल की. उपेंद्र सिंह रावत ने 110,140 मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. 2019 के चुनाव में यहां कुल 17,62,832 मतदाता थे. इनमें से 9,45,964 पुरुष मतदाता और 8,16,810 स्त्री मतदाता थीं. इसमें से कुल 11,55,341 (66.0%) मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. नोटा (NOTA)  के पक्ष में 8,785 वोट पड़े थे. उस चुनाव में भाजपा उम्‍मीदवार उपेंद्र सिंह रावत को 535,917 वोट मिले थे. जबकि समाजवादी पार्टी उम्‍मीदवार  राम सागर रावत को 425,777  वोट मिले थे. वह चुनाव समाजवादी पार्टी और बीएसपी ने मिलकर लड़ा था. 2019 के चुनाव में पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी थे. उन्‍हें कुल 159,611 वोट मिले थे. तनुज इस बार कांग्रेस-सपा गठबंधन के उम्‍मीदवार हैं.

विधानसभा क्षेत्रों का गणित 
बाराबंकी लोकसभा क्षेत्र के भीतर पांच विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें कुर्सी, जैदपुर (SC), हैदरगढ़ (SC), बाराबंकी सदर और रामनगर सीट शामिल है. उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में सपा को तीन विधानसभा क्षेत्रों में जीत मिली थी. जबकि दो सीटें भाजपा के खाते में गई थीं.

अब तक के सांसद 
1952    मोहनलाल सक्सेना        भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1957    राम सेवक यादव        स्वतंत्र राजनीतिज्ञ
स्वामी रामानंद शास्त्री
1962    राम सेवक यादव        सोशलिस्ट पार्टी
1967        संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
1971    रूद्र प्रताप सिंह        भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1977    राम किंकर        जनता पार्टी
1980        जनता पार्टी
1984    कमला प्रसाद रावत        भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1989    राम सागर रावत        जनता दल
1991        जनता पार्टी
1996        समाजवादी पार्टी
1998    बैजनाथ रावत        बी जे पी
1999    राम सागर रावत        समाजवादी पार्टी
2004    कमला प्रसाद रावत        बहुजन समाज पार्टी
2009    पीएल पुनिया        भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
2014    प्रियंका सिंह रावत        बी जे पी
2019    उपेन्द्र सिंह रावत

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