उत्तर प्रदेश

लोकसभा चुनाव: चुनावी आंकड़े ने विवाद खड़ा करने वालों को किया बैकफुट पर आने को मजबूर

यूपी से लगी एमपी की सीमावर्ती संसदीय क्षेत्रों में समाजवादी पार्टी से अधिक बीएसपी का असर रहा है. बीएसपी के चुनाव चिन्ह हाथी पर सवार होकर अब तक तीन भिन्न-भिन्न संसदीय चुनावों में बसपा के उम्मीदवार लोकसभा पहुंच चुके हैं. इसकी तुलना में सपा अब तक एक भी संसदीय सीट पर जीत दर्ज नहीं करा सकी हैं. वोट शेयर के मुद्दे में भी मध्य प्रदेश में बीएसपी समाजवादी पार्टी से बहुत आगे हैं.

बसपा लगातार दो आम चुनावों में आठ फीसदी से अधिक मत प्राप्त कर चुकी है और बाकि के संसदीय चुनावों में उसका औसत मत फीसदी चार से पांच फीसदी रहा है जबकि समाजवादी पार्टी को मात्र दो बार के संसदीय चुनावों में बमुश्किल दो प्रतिशत से अधिक मत हासिल हुए हैं और बाकि चुनावों में उसका औसत मत फीसदी एक प्रतिशत से कम रहा है.

उत्तर प्रदेश के साथ सबसे अधिक सीमा साझा करने वाला राज्य मध्य प्रदेश है, जिसके 13 जिले उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे हैं. इन 13 जिलों में मध्य प्रदेश के कुल नौ लोकसभा क्षेत्र आते हैं. इन चुनाव क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी और बीएसपी ने अस्तित्व में आने बाद पांव फैलाने की प्रयास की जिसमें बीएसपी को कुछ हद तक कामयाबी भी मिली लेकिन समाजवादी पार्टी कोई कमाल नहीं दिखा सकी.

पिछले दिनों इन्हीं संसदीय क्षेत्रों में से एक खजुराहों की सीट से समाजवादी पार्टी उम्मीदवार का नामांकन खारिज होने के बाद बड़ा टकराव खड़ा हो गया था लेकिन चुनावी आंकड़े ने टकराव खड़ा करने वालों को बैकफुट पर आने को विवश कर दिया. क्योंकि 1996 के संसदीय चुनाव से समाजवादी पार्टी ने अपना उम्मीदवार उतारना प्रारम्भ किया और तब से हुए कुल सात लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ने जितने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे उनमें से कोई भी किसी भी चुनाव में अपनी जमानत तक नहीं बचा सका. वैसे भी परिस्थितिवश अब दोनों पार्टियों का पड़ोसी राज्य के इन लोकसभा क्षेत्रों में वर्चस्व कम होता नजर आ रहा है.

 

बसपा ने एमपी में 1991 में एक सीट जीतकर अपना खोला था. जब पार्टी के उम्मीदवार भीम सिंह पटेल ने रीवा संसदीय क्षेत्र में तब के कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता श्रीनिवास तिवारी को पराजित किया था. इसके बाद पार्टी को दूसरी बार 1996 में दोहरी कामयाबी हासिल हुई थी. उस चुनाव में सतना लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में बीएसपी के सुखलाल कुशवाहा ने बीजेपी उम्मीदवार पूर्व सीएम वीरेन्द्र कुमार सकलेचा को और रीवा में बीएसपी के बीएच पटेल ने बीजेपी की प्रवीण कुमारी जो रीवा रियासत की महारानी भी थीं, को हराया था. बीएसपी को तीसरी बार कामयाबी 2009 में मिली जब रीवा संसदीय क्षेत्र में पार्टी के प्रत्याशी देवराज पटेल ने कांग्रेस पार्टी के सुन्दर लाल तिवारी को पराजित किया था. इस चुनाव में बीजेपी के चन्द्रमणि त्रिपाठी तीसरे नम्बर पर रहे थे.

यूपी से सटे एमपी के जिले 
भिंड, मुरैना, दतिया, शिवपुरी, अशोक नगर, सागर, टीकमगढ़, निवाड़ी, छतरपुर, पन्ना, सतना, रीवा और सिंगरौली.

यूपी से सटे एमपी के लोकसभा लोकसभा क्षेत्र
भिंड, मुरैना, गुना, सागर, टीकमगढ़, खजुराहो, सतना, सीधी और रीवा.

मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनावों में बीएसपी का प्रदर्शन
चुनाव वर्ष        प्रत्याशी खड़े किये    विजयी    प्राप्त मत (% में)
1989            35                00        4.28
1991            21                01        3.54
1996            28                02        8.14
1998            35                00        8.07
1999            27                00        5.23
2004            28                00        4.75
2009            29                01        5.85
2014            29                00        3.08
2019            25                00        2.38

मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी का प्रदर्शन
1996            03                00        0.08
1998            12                00        0.65
1999            20                00        1.37
2004            29                00        3.19
2009            18                00        2.83
2014            11                00        0.75
2019            02                00        0.22

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