चुनावी रंग में रंगा लखनऊ का सर्राफा बाजार, बंपर मिल रहे ऐसे ऑर्डर
लखनऊ में मतदान 20 मई को है, लेकिन मतदान से पहले ही लखनऊ पर चुनावी रंग नजर आने लगा है। खास तौर पर लखनऊ का सर्राफा बाजार चुनावी रंग में पूरी तरह से रंग चुका है। चुनाव से पहले सर्राफा बाजार मालामाल होता हुआ नजर आ रहा है, क्योंकि पार्टी समर्थक अपनी-अपनी पार्टी के चुनावी निशान को सोना चांदी में बनवा रहे हैं। यही नहीं प्रचार प्रसार का भी नया तरीका समर्थकों ने खोज लिया है, अब वो गर्मी में सड़कों पर निकलकर खुलकर प्रचार प्रसार नहीं कर रहे हैं बल्कि दबे पांव अपने आस पड़ोस और दोस्तों को पार्टियों का चुनाव निशान गिफ्ट में देकर उन्हें उस पार्टी को वोट करने की अपील कर रहे हैं।
यह है पूरा मामला
दरअसल पूरा मुद्दा यह है कि लखनऊ का सर्राफा बाजार जो कि चौक में है, यह यूपी का सबसे बड़ा सर्राफा बाजार माना जाता है। यहां के व्यापारियों के पास इन दिनों सियासी पार्टियों के चुनावी निशान जैसे सोने की अंगूठी में राम मंदिर, सोने की परत चढ़ा हुआ राम मंदिर, पीएम मोदी का पेन, जय श्री राम लिखा हुआ पेन, जय श्री राम लिखा हुआ राम मंदिर, इसके अतिरिक्त कांग्रेस पार्टी का चांदी का पंजा, बसपा का सोने चांदी में हाथी और चांदी में सपा की साइकिल बनाने का आर्डर बड़ी संख्या में आ रहा हैं, जिसे सर्राफा व्यापारी बना रहे हैं।
इतनी है कीमत
सोने की अंगूठी में राम मंदिर की मूल्य एक लाख रुपए है, जबकि चांदी का पंजा एक से 2000 रुपए की मूल्य में है। वहीं चांदी की परत चढ़ी हुई राम मंदिर की मूल्य तीन से आठ हजार के बीच में है। इसके अतिरिक्त चांदी में कमल बनी हुई अंगूठी भी 10 से 15 हजार रुपए के बीच है, जबकि सोना चांदी की परत चढ़ा हाथी और आप पार्टी की झाड़ू बहुत ही कम कीमतों पर मौजूद है। समर्थक इसे बनवा रहे हैं। आम जनता भी इन्हें देखकर आकर्षित हो रही है और खूब खरीद रही है।
पहली बार हो रहा है ऐसा
चौक सर्राफा एसोसिएशन के महामंत्री विनोद माहेश्वरी ने कहा कि पहली बार ऐसा हो रहा है जब प्रचार प्रसार का लोगों ने नया तरीका खोजा है। अभी तक लोग सड़कों पर निकलते थे और पर्चे बांटते थे लेकिन अब सोना चांदी में पार्टियों के चुनावी चिन्ह बनवाए जा रहे हैं और लोगों को गिफ्ट दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सर्राफा व्यापारियों ने भी चुनावी माहौल के बीच इन्हें तैयार किया है। उन्होंने कहा कि सर्राफा व्यापारी कभी किसी पार्टी का प्रचार प्रसार नहीं करते हैं, बस लोगों की डिमांड पर सामान बनाते हैं।