जनकपुर में नहीं यहां विराजमान है माता सीता की कुलदेवी
पूरे राष्ट्र में नवरात्रि का पर्व बड़े धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। मंदिर और मूर्तियों के शहर अयोध्या में नवरात्रि के पर्व को लेकर कई ऐसे मठ मंदिर हैं जो त्रेताकालीन है। यहां एक ऐसा भी मंदिर स्थित है जहां माता सीता की कुलदेवी विराजमान हैं। लिहाजा एक तरफ राष्ट्र में नवरात्रि की धूम है तो वहीं धर्मनगरी अयोध्या में छोटी देवकाली मंदिर पर अयोध्या के आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता सीता की कुलदेवी की पूजा आराधना करने में लीन है। मान्यता है कि इस जगह पर पूजा-आराधना करने से मांगी गई सभी प्रकार की मन्नतें-मुरादें पूरी होती हैं।
धार्मिक ग्रंथो की माने तो छोटी देवकाली मंदिर को लेकर ऐसी भी मानता है कि जब ईश्वर राम माता सीता के साथ शादी करके जनकपुर से अयोध्या आए थे तो उसे दौरान माता सीता के साथ उनकी कुलदेवी मां पार्वती भी अयोध्या आई थी। जहां राजा जनक ने कनक महल के ईशान कोण पर माता पार्वती का मंदिर बनवाया था। जिसे छोटी देवकाली मंदिर के नाम से जाना जाता है। आज भी चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि में हजारों की संख्या में भक्ति माता रानी के 9 स्वरूपों की भिन्न-भिन्न पूजा आराधना करते हैं।
दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं सारे कष्ट
राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं कि छोटी देवकाली मंदिर में विराजमान माता रानी की पूजा आराधना स्वयं माता सीता करती थी। छोटी देवकाली मंदिर में जो मूर्ति स्थापित है उसकी स्थापना माता सीता ने किया था। इनका दर्शन पूजन करना बड़ा ही जरूरी माना जाता है। इनके दर्शन मात्र से जीवन में आई अनेक परेशानियां दूर हो जाती है। जो भी भक्ति नवरात्र के समय में व्रत रहकर इस देवी मां की पूजा आराधना करता है उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
कब-कब होती है मंदिर में आरती
देवकली मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यह छोटी देवकाली मंदिर है। यहां माता सीता की कुलदेवी की पूजा आराधना की जाती है। नवरात्रि के दौरान सुबह से ही भक्तों का तांता लगा रहता है। सुबह 7:00 बजे आरती होती है। उसके बाद 12:00 बजे आरती होती है फिर रात्रि 8:00 बजे इस मंदिर में आरती होती है। उसके बाद 11:00 तक शयन आरती होती है जिसके बाद मंदिर का पट बंद हो जाता है।