उत्तर प्रदेश

मुख्‍तार अंसारी की बीवी आफशां और बेटे अब्‍बास अंसारी को आखिरी दीदार का नहीं मिला मौका

Mukhtar Ansari’s Last Rites: मुख्‍तार अंसारी को गाजीपुर के कालीबाग कब्रिस्‍तान में सुपुर्दे खाक कर दिया गया है. इस दौरान मुख्‍तार के आखिरी दर्शन को भारी भीड़ उमड़ पड़ी लेकिन बीवी आफशां अंसारी और विधायक बेटे अब्‍बास अंसारी को अंतिम दीदार का मौका नहीं मिला. फरार और 75 हजार रुपए की इनामी आफशां को गिरफ्तारी का डर है तो अब्‍बास अंसारी को न्यायालय से इजाजत नहीं मिल सकी. अब्‍बास के बारे में मुख्‍तार के भतीजे विधायक सुहैब अंसारी ने सोशल मीडिया पर जानकारी दी थी. अब्‍बास ने अपने पिता की आखिरी यात्रा में शामिल होने के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था. लेकिन सुनवाई हो सकी. पिता की मृत्यु की समाचार मिलने के बाद से कारावास में अब्‍बास का बुरा हाल है. अब्‍बास ने अपने बैरक में पूरी रात फूट-फूट कर रोते हुए गुजारी. उधर, आफशां अंसारी के पहुंचने की संभावना में गाजीपुर में पुलिस अलर्ट पर थी. आफशां पर 11 मुकदमा दर्ज हैं. वह लंबे समय से फरार चल रही हैं.

पुलिस और खुफिया विभाग की निगाहें मुख्तार की पत्नी आफ्शां अंसारी को तलाशती रहीं. हालांकि मुख्‍तार के मृतशरीर के गाजीपुर पहुंचने से लेकर उसके सुपुर्दे खाक होने तक आफशां कहीं नज़र नहीं आईं. बोला जा रहा है कि इस मुद्दे में आफशां भी अतीक की पत्‍नी शाइस्‍ता के नक्‍शेकदम पर चलीं. शाइस्‍ता भी अतीक के आखिरी संस्‍कार को नहीं पहुंच पाई थी. वह अभी तक फरार है. शाइस्‍ता पर भी पुलिस ने पुरस्कार घोषित कर रखा है और आफशां पर भी पुरस्कार है. कई मुकदमों और गैंगस्टर में वांछित आफ्शां 2021 से फरार है. उसके विरुद्ध गाजीपुर और मऊ से कुल 75 हजार रुपये का पुरस्कार और लुकआउट नोटिस जारी है.

2005 में मुख्तार अंसारी के कारावास जाने के बाद उसका कामकाज आफ्शां अंसारी ने संभाला था. यूसुफपुर मोहम्मदाबाद के दर्जी मोहल्ले की रहने वाली आफ्शां के विरुद्ध 2021 में विकास कंस्ट्रक्शन कंपनी के नाम पर पट्टे की जमीन खरीदने के मुद्दे में केस दर्ज किया गया था. इसके बाद उसके विरुद्ध कई मुद्दे दर्ज होते गए. गैंगस्टर एक्ट लगने के बाद आफ्शां अंसारी पर गाजीपुर और मऊ पुलिस ने 25-25 हजार रुपये का पुरस्कार घोषित किया. उसके विरुद्ध लुकआउट नोटिस भी जारी हुआ. 2021 में पुरस्कार घोषित होने के बाद फरार आफ्शां पर गाजीपुर से पुरस्कार बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया गया. हालांकि पुलिस फिर भी उसे तलाश न सकी.

पति की मृत्यु की समाचार के बाद परिवार और समर्थकों में आफ्शां के सामने आने की चर्चा तेज हुई तो खुफिया विभाग के कान भी खड़े हो गए हैं. मुख्तार की आखिरी रस्म के दौरान खुफिया विभाग की निगाहें आफ्शां की आहट पर होंगी. हालांकि प्रयागराज में अतीक अहमद को सुपुर्दे खाक करने के दौरान भी खुफिया विभाग इसी तरह उसकी इनामी पत्नी शाइस्ता की तलाश कर रहा था मगर उसका कहीं पता नहीं चल सका. शाइस्ता अब भी कानून के शिकंजे से बाहर है.

2009 में खरीदा था पति के लिए पर्चा
मुख्तार ने वाराणसी सीट से 2009 के लोकसभा चुनाव में दावेदारी की थी. पति के कारावास में होने के कारण उसकी पत्नी आफ्शां ही भाई मेराज सहित कुछ खास समर्थकों के साथ बनारस आई थी और पर्चा खरीदकर ले गई थी. उस समय मुख्तार की पत्नी को पहली बार सार्वजनिक रूप से देखा गया था. आफ्शां ने मुख्तार के लिए कुछ चुनिंदा इलाकों में चुनाव प्रचार भी किया था और पीलीकोठी में कुछ दिनों के लिए ठिकाना बनाया था.

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