बदायूं सीट से पांच बार सांसद रहे सलीम इकबाल शेरवानी की फिर हुई इंट्री
प्रयागराज। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव के उत्तर प्रदेश की बदायूं लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने से मना के बाद मचे राजनीतिक घमासान में अब सपा में महासचिव पद से त्याग-पत्र दे चुके पूर्व केंद्रीय मंत्री और बदायूं सीट से ही पांच बार सांसद रहे सलीम इकबाल शेरवानी की इंट्री हो चुकी है। सलीम शेरवानी ने दावा किया है कि बदायूं में सपा के हालात उनके पद से त्याग-पत्र देने के बाद खराब हुए हैं। उनकी वजह से ही अखिलेश यादव ने पहले धर्मेंद्र यादव का टिकट काटा और अब शिवपाल यादव भी चुनाव लड़ने की हौसला नहीं जुटा पा रहे हैं।
सलीम शेरवानी ने दावा किया है कि इस राजनीतिक उठा पटक के लिए पूरी तरह से पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ही उत्तरदायी है। सलीम शेरवानी के अनुसार ईद के त्यौहार के बाद वह बदायूं जाएंगे और अपने समर्थकों से वार्ता करने के बाद कोई निर्णय लेंगे। उन्होंने यह भी दावा किया कि शिवपाल यादव ने चुनाव नहीं लड़ने का निर्णय लेते समय भी उनसे वार्ता की थी। हालांकि उन्होंने इस बात से साफ मना किया है कि वह शिवपाल यादव को मनाने की कोई प्रयास करेंगे। उनका बोलना है कि यह काम अखिलेश यादव का है और वहां के राजनीतिक हालात के अनुसार उनको ही कोई निर्णय लेना होगा।
बदायूं में मुसलमान और यादव वोटर निर्णायक किरदार में
सलीम शेरवानी का बोलना है कि बदायूं में मुसलमान और यादव वोटर निर्णायक किरदार में है। दोनों साथ मिलकर जिसे वोट करते हैं, उसके जीतने की आसार बढ़ जाती है। सलीम शेरवानी ने दावा किया है कि फरवरी महीने में जब उन्होंने महासचिव पद से त्याग-पत्र देने का घोषणा किया तो इससे बदायूं के लोगों में खासी नाराजगी देखने को मिली।
बदायूं के हालात देखने के बाद शिवपाल यादव ने चुनाव नहीं लड़ने का किया फैसलाा
इस नाराजगी का दंश धर्मेंद्र यादव को झेलना पड़ रहा था। यही वजह है कि अखिलेश यादव ने धर्मेंद्र यादव का टिकट काटकर उन्हें आजमगढ़ भेज दिया और उनकी स्थान शिवपाल यादव को उम्मीदवार बनाया। शिवपाल यादव को बदायूं के हालात का भली–भाँति अंदाजा था, इसीलिए वह वहां जाने की हौसला नहीं जुटा पा रहे थे। अब उन्होंने स्पष्ट रूप से चुनाव लड़ने से मना कर दिया है। सलीम शेरवानी ने अखिलेश यादव पर इशारों में निशाना साधा और स्पष्ट रूप से बोला कि सारे हालात के उत्तरदायी वह स्वयं ही हैं। उन्हें सोच समझ कर ही कोई निर्णय लेना चाहिए।
नाराज सलीम शेरवानी ने 22 मार्च को राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान
सलीम शेरवानी का स्पष्ट रूप से बोलना है कि शिवपाल यादव से उन्हें हमदर्दी है। वह उनकी सहायता भी करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए उन्हें बदायूं के अपने समर्थकों से वार्ता करनी होगी। वह ईद के त्यौहार के बाद बदायूं जाएंगे और समर्थकों से वार्ता करने के बाद ही कोई निर्णय लेंगे। वह भाजपा को रोकने के लिए सेक्युलर ताकतों की सहायता करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए अखिलेश यादव को भी सोचना होगा। सलीम इकबाल शेरवानी ने अखिलेश यादव के रवैये से नाराज होकर 22 मार्च को अपने जन्मदिन के मौके पर एक्टिव राजनीति से संन्यास लेने का भी घोषणा कर दिया था।