उत्तर प्रदेश

डाकघर! यहां के सैकड़ों कर्मचारियों और लाखों ग्राहकों के लिए बना खतरा

 बस्ती:जिले के कोने-कोने तक डाक सामग्री पहुंचाने के लिए 1950 में बस्ती के गांधीनगर में पहली पोस्ट ऑफिस स्थापित की गई थीजहां से डाकिया डाक लेकर बस्ती, सिद्धार्थनगर और संतकबीरनगर तीनों जनपदों में पहुचाते थे और तीनों जिले से लोग यहां अपने डाक सम्बन्धी कामों से आया करते थे लेकिन आज यह डाकघर यहां के सैकड़ों कर्मचारियों और लाखों ग्राहकों के लिए खतरा बन चुका है कारण डाकघर की बिल्डिंग पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है और दिवार से लेकर छत तक टूट-टूट कर गिर रहा है मरम्मत तो दूर 40 वर्षों से इस भवन में रंगाई पुताई भी नहीं हुई है

आपको बता दे की जब इस डाकघर की स्थापना हुई थी तो पहले यह डाकघर पुराने रियासत की कोठी हुआ करती थी लेकिन बाद में इसके इर्द-गिर्द के जमीन और भवन को खैर ट्रस्ट ने ले लिया था तभी से डाकघर और खैर ट्रस्ट के बीच खींचतान चल रहा है और मुद्दा न्यायालय तक में पहुंच चुका है

बज रही खतरे की घंटी

इस मुख्य पोस्ट ऑफिस से एक लाख 28 हज़ार ग्राहक और 357 कर्मचारी सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं और यह मुख्य डाकघर डिजीटल इंडिया के अनुसार संचालित हो रहे इन्डियन पोस्ट पेमेंट बैंक यानि आईपीपीबी का मुख्यालय है जहां डेली हजारों की संख्या में ग्राहक और सैकड़ों की संख्या में कर्मचारियों का डेली आना जाना लगा रहता है लेकिन पूरी तरह से जर्जर हो चुका यह डाकघर का भवन हमेशा लोगों के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है कब कोई बड़ा दुर्घटना हो जाए कह पाना कठिन है

इसका निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा

मुख्य डाकघर बस्ती के हेड पोस्ट मास्टर राजेश चंद्र वर्मा ने कहा कि भवन निमार्ण के सम्बन्ध में उच्च ऑफिसरों से पत्राचार किया गया है मुद्दा न्यायालय में लम्बित है इसलिए इसका निर्माण कार्य नहीं हो पा रहा है जल्द ही कोई रास्ता निकाला जाएगा जिससे डाकघर के भवन का निर्माण कार्य कराया जा सके

 

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