उत्तर प्रदेश

मेरठ के चुनावी रण में गोविल को प्रत्याशी बनाने के पीछे भजपा की ये है असली वजह

Arun Govil Meerut Lok Sabha Seat Voting updates: लोकसभा चुनावों के दूसरे चरण की वोटिंंग का समय आ गया है. उत्तर प्रदेश की जिन 8 सीटों पर कल शुक्रवार को मतदान है, उनमें से मेरठ सीट भी एक है. भाजपा ने इस बार लगातार तीन बार के सांसद राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काटकर टीवी सीरियल रामायण के ‘राम’ यानी अरुण गोविल को प्रत्याशी बनाया गया है. भाजपा ने इसके जरिए बड़ा राजनीतिक दांव खेला है. आइए, जानते हैं गोविल को प्रत्याशी बनाने के पीछे की वास्तविक वजह क्या है…

1- अरुण गोविल का मेरठ से गहरा नाता

अरुण गोविल का मेरठ से गहरा नाता है. उनका जन्म इसी शहर में 12 जनवरी 1952 को एक अग्रवाल परिवार में हुआ. उनके पिता का नाम चंद्रप्रकाश गोविल और माता का शारदा देवी था. पिता नगर निगम के जल-कल विभाग में इंजीनियर थे, जबकि माता गृहिणी थी. अरुण ने मेरठ कॉलेज और चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की.

2- राम के नाम से मिली लोकप्रियता

अरुण गोविल अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद फिल्मी दुनिया में एक अलग पहचान बनाने के लिए मुंबई चले गए. यहां वे अपने बड़े भाई विजय गोविल के साथ रहे, जो बिजनेसमैन हैं. उन्होंने काफी संघर्ष किया, जिसके बाद उन्हें रामानंद सागर की टीवी सीरियल रामायण में ईश्वर राम का भूमिका निभाने का मौका मिला. यह उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट रहा. इस भूमिका ने घर-घर तक पहुंचा दिया. लोग उन्हें सच में ईश्वर राम का रूप समझने लगे. कई बार तो लोगों को उनके पैर छूते हुए भी देखा गया.

3- जातिगत समीकरण

अरुण गोविल के जरिए भाजपा ने जातिगत समीकरणों को भी साधने की प्रयास की है. मेरठ के उपस्थित सांसद राजेंद्र अग्रवाल की तरह अरुण भी अग्रवाल बिरादरी से आते हैं. इस तरह से 2009 से एक बार फिर ‘अग्रवाल’ को ही भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा है. यहां से समाजवादी पार्टी ने भानु प्रताप सिंह तो बीएसपी ने देववृत्त त्यागी को चनावी मैदान में उतारा है. राजेंद्र अग्रवाल 2009 से लगातार सांसद हैं. उन्होंने बीएसपी के मोहम्मद अखलाख को हराकर इस यह सीट भाजपा की झोली में डाल दी थी.

4- सांप्रदायिक ध्रुवीकरण

मेरठ से समाजवादी पार्टी ने भानु प्रताप सिंह को टिकट दिया है, जिनके बारे में बोला जाता है कि वे सनातन विरोधी है. सोशल मीडिया एक्स पर भानु प्रताप सिंह के विरुद्ध ट्रेंड भी चला था. ऐसे में भाजपा ने सनातन विरोधी माने जाने वाले समाजवादी पार्टी प्रत्याशी के विरुद्ध ईश्वर राम के रूप में लोकप्रिय अरुण गोविल को उतारकर अपने पक्ष में माहौल बनाने की प्रयास की है. अरुण को टिकट देने के पीछे की यही बड़ी वजह है. भाजपा यहां चुनाव को सनातन विरोधी बनाम सनातन धर्म अनुयायी के रूप में बनाना चाहती है.

5- राम मंदिर के मामले को भुनाना

बीजेपी अरुण गोविल के जरिए राम मंदिर के मामले को भुनाना चाहती है. अरुण को मेरठ से प्रत्याशी बनाने से इसका असर पश्चिमी यूपी के अन्य जिलों में भी देखने को मिलेगा, जिसमें संभल, अमरोहा और रामपुर जैसी सीटें शामिल हैं.

 

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