2500 साल पुराना है माता का ये मंदिर, हैरान कर देगा इसका इतिहास
ऋषभ चौरसिया/लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ अपनी ऐतिहासिक धरोहर, अतुल्य विरासत और धार्मिक संस्कृति के लिए मशहूर है। इस शहर की विरासत में एक ऐसा मंदिर भी शामिल है जो अपने अपार सौंदर्य और आध्यात्मिकता के साथ-साथ करिश्मा के लिए जाना जाता है। बड़ी काली मंदिर, जो चौक पर स्थित है, बहुत प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर शहर के प्रमुख देवी स्थलों में से एक है और भक्त माता के दर्शन करने के लिए दूर दराज से आते हैं।
बड़ी काली जी मठ के व्यवस्थापक हंसानंद महाराज ने कहा है कि यह मंदिर 2500 साल पुराना है। आदिगुरु शंकराचार्य ईश्वर जब हिंदुस्तान भ्रमण पर निकले थे, तो उन्होंने इस यात्रा के दौरान इस जगह पर रुक कर साधना की थी और तपस्या के दौरान एक दिन मां काली ने उन्हें दर्शन दिए और बोला कि उनकी स्थापना इसी स्थान पर की जाए। उसी समय आदिगुरु शंकराचार्य ने मां काली की स्थापना की थी। नवरात्रों में तो ना सिर्फ़ लखनऊ से बल्कि दूर-दराज के जिलों से भी यहां लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं।
माता के दरबार में आता था शेर
महाराज ने कहा कि यहां माता की लीलाएं बड़ी है। मंदिर में पीतल की एक शेर की प्रतिमा लगी हुई है, मंदिर में घुसते ही सबसे पहले शेर के दर्शन होते हैं। इस शेर का इतिहास है कि वह बचपन से लेकर अपने बुढ़ापे तक माता के दरबार में प्रतिदिन सुबह 4 बजे दर्शन करने आया करता था। यहां के पुराने लोग और संत लोग इसका जिक्र करते रहते थे और बताते थे कि जंगल से रोजाना शेर आता था और माता रानी के दर्शन करता था और किसी को बिना हानि पहुंचाए चला जाता था। सबसे खास बात यह भी है कि जब शेर का दम टूटा तो उसने अपनी आखरी सांस मंदिर में ही ली थी और उसी स्थान उसकी समाधि बनाई गई थी और उसके ऊपर शेर का स्टेच्यू बनाया गया।
भक्त ने चढ़ाई थी गर्दन
यहां पर आज से 10 वर्ष पहले जीभा चढ़ाई जाती थी। लोगों का मानना है कि काली माता जीभ निकालती हैं तो भक्तों के अंदर इतनी सकारात्मक ऊर्जा आ जाती थी कि वो अपनी जीभ काट लेते थे। लेकिन यह प्रथा पिछले 10 वर्ष से बंद कर दी गई है। महाराज का बोलना है कि जो भी आदमी जीभ काटता था, उसकी जीभ दुबारा आ जाती थी। पुराने समय की बात है यहां एक भक्त ने माता के चरणों में अपनी गर्दन चढ़ा दी थी और उनका रूप काफी विविध था। लेकिन एक कन्या ने माता का अवतार लिया और वह हलवा बना कर लाई और उससे भक्त की गर्दन को शरीर से जोड़ा, जिससे वह जुड़ गया। उसके बाद उसने माता के नारे लगाए और आज भी मंदिर में उस भक्त की पीतल की प्रतिमा माता के सामने स्थित है।
ऐसे पहुंचे मंदिर
आप यदि करना चाहते हैं माता रानी के दर्शन तो आपको आना होगा बड़ी काली जी मंदिर, चौक। आप चारबाग रेलवे स्टेशन से ऑटो कैब द्वारा सरलता से पहुंच सकते हैं। नवरात्र के मौके पर बड़ी काली जी मंदिर में विशेष पूजन होता है और प्रत्येक दिन विशेष आरती होती है।