वाराणसी :आज से 15 अक्टूबर तक करीब आधा दर्जन ट्रेनें कैंट रेलवे स्टेशन से नहीं होगी संचालित
वाराणसी। 30 वर्ष बाद पांच सौ करोड़ से वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन की तस्वीर बदलने जा रही है। जिसकी आरंभ सोमवार से हो गयी है। पूरे 45 दिनों में 150 योजनाओं को पूरा कर के कैंट रेलवे स्टेशन को तकनीकी और आधुनिक तौर पर तैयार किया जाएगा। इन योजनाओं को पूरा होने के बाद कैंट रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों को प्लेटफार्म मिलने में देरी नहीं होगी, जिससे यात्रियों का यात्रा सुखद होगा। वहीं यदि ट्रेनों के संचालन की बात करें तो आज से 15 अक्टूबर तक करीब आधा दर्जन ट्रेनें कैंट रेलवे स्टेशन से संचालित नहीं होगी। उन्हें अन्य स्टेशनों से चलाया जायेगा।
बेगमपुरा एक्सप्रेस 11 सितंबर से 16 अक्टूबर तक सुल्तानपुर से प्रस्थान और खत्म होगी। काशी महाकाल एक्सप्रेस 12, 14, 19, 21, 26, 28 सितंबर और 3,5,10 और 12 अक्टूबर को सुल्तानपुर से प्रस्थान एवं खत्म होगी। वाराणसी-अहमदाबाद साप्ताहिक एक्सप्रेस 16, 23, 30 सितंबर, 7,14 अक्टूबर को सुल्तानपुर तक आएगी और जाएगी। लखनऊ जाने वाली शटल (वरुणा) सुपरफास्ट एक्सप्रेस 11 सितंबर से 16 अक्टूबर तक शिवपुर स्टेशन से आएगी और जाएगी। मरुधर एक्सप्रेस 11 सितंबर से 15 अक्टूबर तक लखनऊ से प्रस्थान और खत्म होगी। वाराणसी स्टेशन लखनऊ इंटरसिटी एक्सप्रेस का संचालन 20 सितंबर से 15 अक्टूबर तक लोहता स्टेशन से किया जाएगा।
एडीआरएम लाल जी चौधरी ने कहा कि 568 करोड़ रुपये का यह प्रोजेक्ट है, जिसमें 150 परियोजनाएं हैं। इन परियोजनाओं के अनुसार बनारस के कैंट रेलवे स्टेशन की तस्वीर को बदला जाएगा। वर्ष 1994 के बाद कैंट स्टेशन के स्वरूप बदलने की आरंभ हो गयी है। इस प्रक्रिया को पूरा करने से यात्रियों को बहुत फायदा मिलने वाला है। यहां पर प्लेटफॉर्म बढ़कर 9 से 11 हो जाएंगे। इसके साथ ही प्लेटफॉर्म की लेंथ अभी तीन है जोकि 11 हो जाएगी। वहीं रनिंग लाइन इस समय हमारे पास 12 हैं जोकि बढ़कर 15 हो जाएंगी। अभी जो थ्रोगुड्स हैं उनके लिए हमारे पास सिर्फ़ 2 लाइनें हैं, ये बढ़कर 6 हो जाएंगी। स्टेशन पर वाशिंग लाइनों की संख्या चार है जोकि बढ़कर 8 हो जाएंगी। इन 45 दिनों तक 39 जोड़ी ट्रेनें खारिज कर दी जाएंगी। कहीं कुछ ट्रेनों वाराणसी के अलग लग स्टेशनों से चलाई जाएंगी। इसके साथ ही 14 दूसरे स्टेशनों से चलाई जाएंगी।
बता दें कि पिछले एक दशक से कैंट रेलवे स्टेशन के विस्तारीकरण और रिमॉडलिंग की मांग हो रही थी। यार्ड छोटे और ट्रेन अधिक होने के कारण यहां रोजाना कम से कम 21 ट्रेन प्लेटफार्म तक आने में लेट हो जाया करती थी। ऐसे में इस परिवर्तन के बाद यात्रियों को इस कठिनाई से निजात मिल जाएगी।