डीडीयू में सर्दियों की छुट्टी को लेकर कुलपति के निर्णय ने किया बड़ा बदलाव
यूपी के दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी ने शीतावकाश को खत्म करने का फैसला लिया है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छुट्टियां कम करने की न सिर्फ़ प्रक्रिया प्रारम्भ कर दी है।बल्कि दिवाली में 3 दिन की छुट्टी भी कम की है। साथ ही यूनिवर्सिटी प्रशासन ने 23 नवंबर को होने वाली देवोत्थान एकादशी और 6 दिसंबर को होने वाली बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर परिनिर्वाण दिवस की छुट्टी भी रद्द कर दी है। राज्य गवर्नमेंट की छुट्टियों के मानक पर यूनिवर्सिटी की छुट्टियों को रद्द करने का यह फैसला कुलपति ने लिया है।
गोरखपुर यूनिवर्सिटी के कुल सचिव प्रोफेसर शांतनु रस्तोगी ने गुरुवार को इसे लेकर पत्र भी जारी कर दिया है। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कहा कि गोरखपुर यूनिवर्सिटी में प्रदेश की अन्य यूनिवर्सिटी के मुकाबले सबसे अधिक छुट्टियां होती है।ऐसे में एकेडमी सेशन का हानि होता है।इसीलिए यूनिवर्सिटी की अनावश्यक छुट्टियों में कटौती करने का निर्णय लिया गया है।गोरखपुर यूनिवर्सिटी की छुट्टियों के कैलेंडर में शीतावकाश तो सिर्फ़ 26 से 30 दिसंबर तक यानी 5 दिन ही था। पर पर्व और रविवार के चलते छुट्टियों की संख्या 8 दिन की हो गई थी।इस दौरान 25 दिसंबर को क्रिसमस का अवकाश है तो 24 और 31 दिसंबर को रविवार।शीतकालीन छुट्टी रद्द होने से कई शिक्षकों और कर्मचारियों की सर्दियों में बाहर जाने की योजना फेल हो गई है।
दशहरे की 8 दिन की छुट्टी के चलते यूनिवर्सिटी की शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित
इससे पहले दशहरे की 8 दिन की छुट्टी के चलते यूनिवर्सिटी की शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित होने के बाद कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन की यूनिवर्सिटी की छुट्टियों की कैलेंडर की समीक्षा की। और दिवाली के दौरान होने वाली छुट्टियों में 8 से 10 नवंबर तक छुट्टी खारिज कर दी। इसी क्रम में उन्होंने 14 नवंबर की छुट्टी खारिज कर दी थी। पर बाद में शिक्षकों और कर्मचारियों की मांग पर अपना यह फैसला वापस ले लिया। इससे यह साफ हो गया है कि अगले साल छुट्टियों का कैलेंडर काफी छोटा होगा। कैलेंडर में छुट्टियां को 52 की स्थान 29 किए जाने पर मंथन प्रारम्भ हो गया है ।जल्द ही साल 2024 का कम छुट्टियों वाला कैलेंडर जारी हो जाएगा। शीतावकाश खारिज होने के बाद यूनिवर्सिटी में इसको लेकर कर्मचारियों और शिक्षकों में खूब चर्चा रही।कुछ शिक्षकों का बोलना था की छुट्टियां कम करने का फैसला आनें वाले साल में लिया जाता तो बेहतर होता।अचानक लिए गए फैसला से उनकी सारी योजना ध्वस्त हो गई है।