उत्तराखंड में यहां गिरे थे मां सती के नैत्र, तब जाकर बना ये शक्ति पीठ
पूरे राष्ट्र में चैत्र नवरात्रि की धूम है। राष्ट्र के सभी जगहों पर माता के मंदिरों में भक्तों की खासी भीड़ देखी जा रही है। कई पौराणिक मान्यताओं को समेटे देवभूमि उत्तराखंड के मंदिरों में भी आजकल काफी संख्या में भक्तगण दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही एक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो अपनी शक्तियों और पौराणिक मान्यताओं के लिए जाना जाता है। हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के नैनीताल स्थित नैना देवी मंदिर की। नैनीताल का नैना देवी मंदिर पूरे राष्ट्र में अपना खास महत्व रखता है। यहां देवी से जुड़े कई करिश्मा भी देखने को मिलते हैं। इस मंदिर में श्रद्धालुओं की इतनी भीड़ रहती है कि लोगों को लंबी-लंबी लाइन में लगना पड़ता है। इस मंदिर में माता नेत्र रूप में विराजमान हैमान्यता है कि जब ईश्वर शिव माता सती की मृत शरीर को लेकर कैलाश की तरफ जा रहे थे, तो इस जगह पर माता सती का बायां नेत्र गिरा था। जिसके बाद यहां शक्तिपीठ स्थापित हुआ था। जिसे नैना देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां नैना देवी देवी के दर्शन मात्र से ही समस्त प्रकार के नेत्र बीमारी दूर होते हैं। और सच्चे दिल से मांगी गई मुराद अवश्य पूरी होती है।
क्या है नैना देवी मंदिर की धार्मिक मान्यता?
मंदिर के पुजारी महेश चंद्र भट्ट हैं कि हिंदू धर्म ग्रंथों में नैना देवी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है। 51 शक्ति पीठों में से इस मंदिर का जगह है। धार्मिक मान्यता है कि यही वो स्थान है जहां देवी सती की आंखें गिरी थीं। इसलिए यहां देवी की आंखों के रूप में पूजा की जाती है। मां के दर्शन मात्र से ही नेत्र बीमारी दूर होते हैं। और साथ ही भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है। यही कारण है कि प्रत्येक साल राष्ट्र के विभिन्न कोनों से श्रद्धालु नैना देवी मंदिर में मत्था टेकने आते है। यहां नवरात्रि और अन्य त्योहारों के मौकों पर कई अनुष्ठान होते हैं। साथ ही यहां अगस्त-सितंबर माह के समय मशहूर नंदा देवी का मेला भी लगता है।
दूर दूर से आते हैं श्रद्धालु
नैना देवी देवी के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु नैनीताल पहुंचते हैं। रुद्रपुर से नैनीताल पहुंची पर्यटक चिकित्सक माधवी अवस्ति ने स वार्ता के दौरान कहा कि उनकी मां के प्रति बड़ी श्रद्धा है। यही वजह है कि वो कई बार मां के दर्शन के लिए यहां आती हैं। उन्होंने कहा कि वो अपने परिवार और अपनी इंग्लैंड निवासी बहन के साथ मां के दर्शन के लिए आईं है।यहां आकर मन को शांति मिलती है