क्या गढ़वाल के इम्तिहान में पास होंगे अनिल बलूनी…
गढ़वालः वोटिंग में महज एक ही दिन बचा है। लेकिन जाने-अनजाने उत्तराखंड की गढ़वाल सीट एक हॉट सीट बन गयी है। एक इतना बड़ा संसदीय क्षेत्र जिसके एक छोर रामनगर से शुरु हो कर चीन की सीमा तक पहुंचना किसी भी उम्मीदवार के लिए सरल काम नहीं होता। बहुत ही विशाल संसदीय क्षेत्र और जनसंख्या ऐसी की 5 लोगों से लेकर 100 लोगों के गांव तक उपस्थित हैं। पलायन तो मानो इन गढ़वालियों के जीवन का हिस्सा बन गया है। भाजपा ने इस बार यहां अपना उम्मीदवार बनाया है अपने राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी को। ऐसा नहीं है कि बलूनी गढ़वाल के लिए नए हैं। गढवाल के ही गांव में बलूनी जन्में। बलूनी को 2002 मे क्षेत्रीय कोटद्वार सीट से भाजपा ने विधानसभा उम्मीदवार बनाया था। तब उनका नामांकन ही रद्द करवा दिया गया था। लेकिन जुझारु बलूनी ने जंग जारी रखी। आखिरकार उच्चतम न्यायालय तक गए और चुनाव खारिज हुआ और फिर से चुनाव आयोग ने चुनाव करवाए।
इस चुनावी झटके के बाद अनिल बलूनी का जुझारुपन उनकी राजनीति में भी नजर आया। आम कार्यकर्ता की तरह मैदान में डटे रहे और धीर धीरे राष्ट्रीय प्रवक्ता और मीडिया प्रमुख बन कर भाजपा की रोज की राजनीति का हिस्सा बन गए। फिर जब उत्तराखंड से राज्यसभा पहुंचे बलूनी ने एक भी दिन गंवाया नहीं। पूरा समय उत्तराखंड और गढवाल की जनता के लिए लगा दिए। दिल्ली के शीर्ष मंत्रियों से उनका सीधा संपर्क काम आया। राज्य को नई रेल दिलवानी हो या फिर नए आईसीय़ू खोलने हों या फिर फौज और सीमा सुरक्षा बलों के हस्पतालों में वहां के क्षेत्रीय गांव वालों को उपचार की सुविधा दिलवानी हो, उनकी पूरी सांसद नीधि और ध्यान दो मुद्दों पर रहा—एक उपचार की सुविधा, दूसरा पलायन रोकने के तरीका और साथ ही रेल, रोड के निर्माण को मिशन मोड मे लाकर कनेक्टिविटी बढ़ाना। आलम ये है कि अप्रैल 14 को बालूनी के निवेदन पर एक टेलीकॉम की बड़ी कंपनी ने गढवाल में 150 स्थानों पर मोबाईल टावर लगाने की सहमति दे दी है।
आसान नहीं होता कैंसर जैसी लाइलाज रोग से जुझना। लेकिन जुझारु अनिल बलूनी कैंसर से भी लड़ाई लड़ी और जीत कर एक बार फिर राष्ट्र के सामने आया। यहां तक कि उनके काम या फिर आत्मशक्ति पर भी कोई असर नहीं पड़ा। उपचार के दौरान भी प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी हों या फिर गृहमंत्री अमित शाह या फिर पीयुष गोयल और स्मृति ईरानी जैसी शीर्ष मंत्री, हर कोई उनके लिए दुआ कर रहा था। ये उनके आसान चरित्र का ही असर था कि दो महीने के प्रचार में वो पूरे गढ़वाल पर छा गए हैं। प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी ने जब ऋषिकेश में रैली कि तो अनिल भाई कह कर संबोधित किया।
अमित शाह कोटद्वार पहुंचे तो बोला कि अनिल बलूनी उनके बहुत करीबी हैं, उन्हें जीता कर दिल्ली भेजिए तो क्षेत्र का भला होगा। उधर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गोचर की एक सभा में बोला कि आप लोग सिर्फ़ सांसद नहीं चुन रहे हैं—वाह से उत्तराखंड—समझदार के लिए इशारा ही काफी है। केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने तो बलूनी का नामांकन भी कराया और रोड शो भी किया। बलूनी का आसान चरित्र ही है जो उन्हें सबका करीबी बनाता है और सहयोगियों का सम्मान भी मिलता है।