महादेव के इस मंदिर में खुद प्रकट हुआ था शिवलिंग, यहां दर्शन करने से पूरी होती है हर मनोकामना
उत्तराखंड में स्थित ऋषिकेश एक पावन तीर्थ स्थल है। ऋषिकेश में कई सारे मंदिर स्थापित है। हर मंदिर की मान्यता और अपना इतिहास है। वहीं यहां ईश्वर शिव के कई सारे प्राचीन मंदिर स्थापित हैं। उन्हीं में से एक मंदिर जिसके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं वह नर्मदेश्वर लाल मंदिर के नाम से मशहूर है। यह मंदिर ऋषिकेश के त्रिवेणी घाट के पास ही गंगा के तट पर स्थित है।
ऋषिकेश का 100 वर्ष पुराना मंदिर
बातचीत में महंत राधा पुरी ने कहा कि यह मंदिर ऋषिकेश में पावन गंगा के तट पर स्थित है, जिसे सभी नर्मदेश्वर महादेव के नाम से भी जानते हैं। यह मंदिर ईश्वर शिव को समर्पित है। यहां स्थापित शिवलिंग एक स्वयंभू शिवलिंग है, जो कि स्वयं नर्मदा नदी से निकला हुआ है। यह शिवलिंग ओंकारेश्वर के पास स्थित धावड़ी कुंड जिसमें नर्मदा का वास है, वहीं से प्रकट हुआ है। इसीलिए इसे नर्मदेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। साथ ही इसका इतिहास लगभग 100 वर्ष से अधिक पुराना है। यह मंदिर ऋषिकेश के मशहूर और प्राचीन मंदिरों में से एक है, इसीलिए यहां दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ रहती है।
यहां स्थापित है स्वयंभू शिवलिंग
महंत राधा पुरी ने कहा कि नर्मदा नदी ईश्वर शिव की पुत्री मानी जाती है, पुराणों के मुताबिक ईश्वर शिव से ही नर्मदा नदी की उत्पत्ति हुई है। इसीलिए इस नदी से उत्पन्न शिवलिंग का अपने आप में ही विशेष महत्व है। साथ ही जो भी भक्त इस शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं या रुद्राभिषेक करते हैं ईश्वर शिव उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। यदि आप ऋषिकेश घूमने आए हैं या फिर आने की सोच रहे हैं, तो इस मंदिर के दर्शन जरूर करें। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस मंदिर के पट प्रातः 5 बजे खुल जाते हैं और शाम 7 बजे के करीब संध्या आरती होती है। जिसके कुछ ही समय बाद यह मंदिर बंद हो जाता है।