इस मंदिर में नवरात्रि पर दिखता है भक्तों का रेला
देवों की भूमि उत्तराखंड में कई ऐतिहासिक और लोकप्रिय धार्मिक स्थल स्थित हैं। इन धार्मिक स्थलों में लोगों की गहरी आस्था है। आज हम आपको उत्तराखंड के ऐसे ही एक मशहूर मां शीतला देवी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। यह ऐतिहासिक धार्मिक स्थल नैनीताल जिले के हल्द्वानी में काठगोदाम स्थित उच्च चोटी पर है। मां शीतला देवी मंदिर क्षेत्र में रहने वाले लोगों की आस्था का केंद्र है। माता शीतला को मां दुर्गा का अवतार भी माना जाता है।
नवरात्र प्रारम्भ हो गए है और माता शीतला देवी के मंदिर में भक्तों की पूरे दिन भीड़ उमड़ी रहती है। शीतला देवी माता की मान्यता है कि वह अपने भक्तों की मुराद जरूर पूरी करती हैं। यही वजह है कि नवरात्र में माता शीतला देवी का मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती हैं। माता शीतला को शीतलता का प्रतीक भी माना जाता है। यहां माता के दर्शन करने के लिए क्षेत्रीय लोग ही नहीं बल्कि दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पैदल यात्रा कर भी पहुंचते हैं। माता शीतला का मंदिर बहुत ही सुन्दर मंदिर है। इसके आसपास का वातावरण भी श्रद्धालुओं को काफी भाता हैं। मां शीतला को चेचक आदि कई रोगों की देवी कहा गया है।
मां दुर्गा के नौ उपवास का महत्त्व
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ उपवास के साथ सोलह श्रृंगार का भी बहुत बड़ा महत्व कहा गया है। यही वजह है कि महिलाओं को हर तीज-त्योहार पर श्रृंगार करने के लिए बोला जाता है। हिंदू धर्म में मां दुर्गा के शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूप की पूजा की जाती है।
ऐसा है इस मंदिर का इतिहास
शीतला मंदिर को लेकर एक कथा बहुत ही प्रचलित है। कथा के मुताबिक भीमताल के पांडे लोग अपने गांव में माता शीतला का मंदिर बनाना चाहते थे। इसके लिए गांव के लोग बनारस से माता की मूर्ति लेकर आ रहे थे, इस जगह पर पहुंचने तक शाम हो गई और उन्होंने इसी जगह पर रात को आराम किया। बोला जाता है कि उनमें से एक आदमी को माता ने रात में सपने में दर्शन दिए और यहीं पर मूर्ति स्थापित करने की बात कही। जब उस आदमी ने सुबह अपने साथियों को सपने के बारे में कहा तो उन्हें पहले तो विश्वास नहीं हुआ, लेकिन जब लोगों ने मूर्ति उठाने की प्रयास की तो वह मूर्ति उठा नहीं पाएं। इसके बाद पांडे लोगों ने मूर्ति का यहीं स्थापित कर दिया। नवरात्र में मां के मंदिर में भक्तों की विशाल भीड़ उमड़ पड़ती है।
क्या कहते हैं मंदिर के पुजारी
वहीं मंदिर के पुजारी का बोलना है कि माता के प्रति लोगों का अटूट विश्वास है और जो भी मंदिर में सच्चे मन से मुराद मांगता है माता उनकी मुरादें जरूर पूरी होती है नवरात्र में यहां लाखों की संख्या में लोग माता के दर्शन करने के लिए मंदिर में पहुंचते हैं। स्कंदपुराण के अनुसार शीतला देवी का गाड़ी गर्दभ है। वह अपने हाथ में सूप, कलश, झाड़ू और नीम के पत्तों को धारण करती हैं। मां शीतला को चेचक यानी चिकनपाक्स और उसके जैसी दूसरी रोंगों की देवी के रूप में वर्णित किया गया है।
कैसे पहुंचें शीतला माता मंदिर
शीतला माता का मंदिर हल्द्वानी से लगभग 8 किलोमीटर दूर स्थित है। इस दूरी को श्रद्धालु पैदल या गाड़ी की सहायता से तय कर सकते हैं। हल्द्वानी से नजदीकी रेलवे स्टेशन लगभग 8 किलोमीटर दूर काठगोदाम में स्थित है। हल्द्वानी बसों के माध्यम से प्रदेश के कई बड़े शहरों से सीधा जुड़ा हुआ है।