उत्तराखण्ड

अल्मोड़ा के छात्रों ने होटल मैनेजमेंट संस्थान में किया तालाबंद

अल्मोड़ा विद्यालय या फिर किसी भी संस्थान में बच्चे पढ़ाई करने के लिए जाते हैं, जहां से वह अपनी शिक्षा को ग्रहण करते हैं पर जिस संस्थान में वह पढ़ाई कर रहे हैं और वहां टीचर की कमी हो तो बच्चे आखिर क्या कर सकते हैं ऐसा ही मुद्दा उत्तराखंड के अल्मोड़ा के होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट से सामने आया है यहां पर टीचरों की कमी के चलते विद्यार्थियों ने होटल मैनेजमेंट संस्थान में तालाबंद कर दिया है | जगत सिंह बिष्ट राजकीय होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट वर्ष 1991 में स्थापित हुआ था और यहां पर विभिन्न राज्यों के बच्चे पढ़ाई करने के लिए आते हैं अल्मोड़ा के होटल मैनेजमेंट में फैकल्टी की कमी होने के चलते बच्चों ने धरना प्रदर्शन प्रारम्भ कर सड़कों पर उतर आए हैं

दरअसल, उत्तराखंड में दो ही सरकारी होटल मैनेजमेंट के संस्थान हैं, देहरादून और अल्मोड़ा में अल्मोड़ा होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में टीचरों की कमी होने के चलते बच्चों ने धरना प्रदर्शन कर कॉलेज में तालेबंदी कर दी और यहां के विद्यार्थी सड़कों पर उतर आए विद्यार्थियों में काफी आक्रोश देखने को मिला यहां पर पढ़ने वाले विद्यार्थियों ने कहा कि होटल मैनेजमेंट में 9 शिक्षकों की आवश्यकता है, पर केवल दो ही टीचर वर्तमान में बच्चों को पढ़ा रहे हैं, जिस वजह से उनकी पढ़ाई पर काफी असर पड़ रहा है उनका बोलना है कि यदि जल्द ही शिक्षकों की तैनाती नहीं हुई, तो वह प्रदर्शन को जारी रखेंगे

173 विद्यार्थियों पर 2 टीचर
छात्र शेखर नेगी ने कहा कि उनके धरने का 2 दिन हो चुका है करीब डेढ़ महीने पहले सत्र प्रारम्भ हो चुका है, पर टीचर नहीं हैं इतना बड़ा संस्थान होने के बावजूद भी यहां पर केवल दो ही फैकल्टी हैं और 173 बच्चे यहां पर पढ़ाई कर रहे हैं उन्होंने कहा कि बच्चों का भविष्य अंधकार में जा रहा है यहां पर 9 फैकल्टी की आवश्यकता है, पर 2 ही फैकल्टी होने से बच्चों की भी पढ़ाई में काफी असर पड़ रहा है

कॉलेज प्रशासन ने ऑफिसरों को भेजे पत्र
होटल मैनेजमेंट के सीनियर टीचर धीरेंद्र सिंह मर्तोलिया ने इस बारे में बोला कि होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट में फैकल्टी की कमी होने के चलते बच्चों ने यह कदम उठाया है शासन स्तर तक उन्होंने पत्र भेजे हैं उन्हें लगता है कि कुछ न कुछ ठोस कदम उठाया जाएगा, जिससे बच्चों का भविष्य बच सके उन्होंने आगे बोला कि इस संस्थान में उत्तराखंड ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों से भी बच्चे पढ़ाई करने के लिए यहां पर पहुंचते हैं ऐसे में इसे बेहतर बनाने के लिए कोशिश किए जाने चाहिए

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