रामलीला का इतिहास 140 साल पुराना, 100 सालों से कर रहे रामलीला में पुतले बनाने का काम
हल्द्वानी।उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के प्रवेश द्वार हल्द्वानी की रामलीला का इतिहास 140 वर्ष पुराना है। कई दशकों से मुख्य बाजार क्षेत्र में स्थित रामलीला मैदान में इसका आयोजन किया जा रहा है। हल्द्वानी ही नहीं बल्कि कई अन्य शहरों से भी लोग यह रामलीला देखने आते हैं। आज हम आपको रामलीला में रावण परिवार के पुतले बनाने वाले शख्स शंभू बाबा के बारे में बताने वाले हैं आपको बताएंगे कि शंभू बाबा कौन है और कब से हल्द्वानी की रामलीला में रावण परिवार के पुतले बनाने का कार्य कर रहे हैं।
उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर में रामलीला देखने के लिए लोगों की भीड़ लगी रहती हैं। अक्सर आप रामलीला तो देखने जाते होंगे। लेकिन आप यह नहीं जानते होंगे कि रामलीला में रावण परिवार के पुतले कौन बनाता है। हल्द्वानी रामलीला के पुतले काफी पसंद किए जाते हैं और पिछले 60 वर्ष से इन्हें बनाने वाले शख्स हैं शंभू बाबा, उनकी तीन पीढ़ियां पुतले बनाते हुए आ रही हैं। वह परिवार की तीसरी पीढ़ी के सदस्य हैं, जो यह काम कर रहे है। उनका बोलना है, वह भले ही रावण का पुतला बनाते हैं, लेकिन वह ईश्वर राम के भक्त हैं। राम उन्हें अच्छे लगते हैं।
रावण परिवार के पुतले बनाने में डेढ़ लाख का खर्च
रावण परिवार के 6 पुतले बनाने में इस वर्ष 1 लाख 50 हजार रुपये का खर्च आया है। रावण, कुंभकर्ण, मेघनाथ समेत कुल 6 पुतले बनाए जाते हैं। इनकी लंबाई 40 से 50 फुट के बीच होती है। इनमें पटाखे भी लगाए जाते हैं। हल्द्वानी की रामलीला में रावण परिवार के पुतले शंभू बाबा बनाया करते हैं। आपको बता दें कि शंभू बाबा कौन है यह शंभू बाबा बरेली जिले के बहेड़ी के रहने वाले हैं। शंभू बाबा के पिता भी रामलीला में रावण परिवार के पुतले बनाने का काम किया करते थे। और शंभू बाबा भी रामलीला में पुतले बनाने का काम करते हैं और उनके परिवार के लोग भी रामलीला में पुतले बनाने का कार्य कर रहे हैं।
सबसे पहले 7 हजार रुपये में बनाए थे पुतले
शंभू बाबा का बोलना है कि हम करीब 100 वर्षों से रामलीला में पुतले बनाने का काम कर रहे हैं और हमारी पीढ़ी रेट पीढ़ी रामलीला में पुतले बनाने का काम करती है। यह हमारा परिवारिक काम है। शंभू बाबा का बोलना है कि सबसे पहले हमने रामलीला में रावण परिवार के पुतले बनाने का मात्र 7 हजार का ठेका लिया था, अब हम रामलीला में पुतले बनाने के लिए 1 लाख 50 हजार रुपये का ठेका लिया है।
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