हेलिकॉप्टर आग बुझाने में कैसे करते हैं मदद…
वायु सेना के पास इस काम के लिए खासकर तौर पर दो एमआई हेलिकॉप्टर हैंये हेलिकॉप्टर पानी की बड़ी क्षमता वाली बंबी बकेट का इस्तेमाल करते हैं भारतीय वायुसेना के ये हेलिकॉप्टर राष्ट्र के जंगलों में लगी बड़ी आग बुझाने में इस्तेमाल किए जाते हैं
नैनीताल के जंगल में भयंकर आग लगी है। इस पर काबू करने के लिए लगातार प्रयास हो रही है। आग बुझाने के लिए भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर्स की सहायता ली जा रही है। इनसे कई इलाकों में आग पर काबू पा लिया गया। भारतीय वायु सेना के अनुसार, आग की लपटों को बुझाने के लिए नैनीताल और आसपास के इलाकों में एक एमआई -17 वी 5 हेलीकॉप्टर तैनात किया गया है। हम ये जानेंगे कि हेलिकॉप्टर आग बुझाने में कैसे सहायता करते हैं। हेलिकॉप्टर इस काम में काफी बड़ी बंबी बाल्टी का इस्तेमाल करते हैं।
कैसे सहायता करते हैं हेलिकॉप्टर?
वायु सेना के पास इस काम के लिए खासकर तौर पर दो एमआई हेलिकॉप्टर हैं। उल्लेखनीय है कि आकार-प्रकार में एमआई हेलिकॉप्टर सबसे बड़े होते हैं। वो बड़े पैमाने पर भारी सामानों को ढोने का काम भी करने में सक्षम होते हैं।
कितना पानी साथ ले जा सकते हैं
आग बुझाने वाले एमआई-17वी एम हेलिकॉप्टर में पानी स्प्रे करने का उपकरण लगा होता है। साथ ही इसमें एक बांबी बकेट होती है। इस बकेट की क्षमता 5000 लीटर टैंक की बताई गई है। पिछले कुछ दशकों में जंगलों की या भारी आग बुझाने के लिए हेलिकॉप्टर काफी मददगार साबित होते रहे हैं। आग का फैलाव रोकने में भी इनकी किरदार रही है।
यही नहीं, बल्कि जंगल की आग के मुद्दे में हेलिकॉप्टर टीमों और उपकरणों को भी मौके तक पहुंचाने में मददगार होते हैं। आग आगे न फैले, इसके लिए बचाव कार्य में सबसे ज़्यादा उपयोगी इन्हें ही माना जाता है। आग के सिरों पर ये हेलिकॉप्टर पानी की बौछार करते हुए आग को आगे बढ़ने से रोकते हैं।
ये बंबी बाल्टी क्या होती जिससे हेलिकॉप्टर पानी गिराते हैं
बंबी बकेट एक विशेष हवाई अग्निशमन उपकरण है जिसका इस्तेमाल 1980 के दशक से किया जा रहा है।यह मूलतौर पर हल्का खुलने योग्य कंटेनर है जो हेलीकॉप्टर के नीचे से लक्षित क्षेत्रों में पानी छोड़ता है। पायलट-नियंत्रित वाल्व का इस्तेमाल करके पानी गिराया जाता है।
इसकी खास खासियत ये है कि इसे शीघ्र और सरलता से भरा जा सकता है। बाल्टी को झीलों और स्विमिंग पूल सहित विभिन्न स्रोतों से भरा जा सकता है, जो अग्निशामकों को इसे तेजी से भरने और लक्ष्य क्षेत्र में लौटने की अनुमति देता है। बांबी बाल्टी विभिन्न आकारों और मॉडलों में मौजूद है, जिसकी क्षमता 270 लीटर से लेकर 9,840 लीटर से अधिक होती है।
बंबी बाल्टी का आविष्कार कैसे हुआ?
बंबी बकेट का आविष्कार 1982 में एक कनाडाई व्यवसाय डॉन आर्नी द्वारा किया गया। आर्नी को यह विचार तब आया जब उन्हें एहसास हुआ कि उस समय इस्तेमाल में आने वाली हवाई अग्निशमन पानी की बाल्टियां कुशल नहीं थीं। वो अधिक काम की साबित नहीं हो रही थीं।
ये पानी की बाल्टियां आम तौर पर “ठोस फाइबरग्लास, प्लास्टिक, या धातु के फ्रेम वाले कैनवास” से बनी होती थीं और “विमान के अंदर फिट होने के लिए बहुत सख्त होती थीं” और उन्हें “अग्नि स्थलों पर ट्रक से ले जाना पड़ता था या हेलीकॉप्टर के हुक पर उड़ाया जाता था, जिससे गति धीमी हो जाती थी”। विमान नीचे गिरने का खतरा रहता था। इन कंटेनरों से गिराया गया पानी एक स्प्रे में बिखर जाता था, जिससे असर कम हो जाता था।
बंबी बकेट में ये सीमाएं नहीं हैं। ये पानी का एक ठोस स्तंभ छोड़ता है, “परिणामस्वरूप अधिक परफेक्ट और कारगर पानी नीचे गिरता है। इसका असर अधिक होता है। बंबी बकेट का इस्तेमाल पूरे विश्व के 115 से अधिक राष्ट्रों में 1,000 से अधिक हेलीकॉप्टर ऑपरेटरों द्वारा किया जाता है।
फायर अटैक किट क्या है?
यह एक तरह से हेलिकॉप्टर में बाहरी टैंक होता है। इसमें एक पंपिंग हौज़ होता है, जिसे किसी छोटी सी धारा जैसे नज़दीकी जलस्रोत से भरा जा सकता है। हेलिकॉप्टर की क्षमता के मुताबिक इसका साइज़ तय होता है।
कौन से हेलिकॉप्टर इसमें इस्तेमाल लाए जाते हैं होते हैं अनुकूल?
खास तौर से जंगल की आग से लड़ने के मुद्दे में कई तरह के हेलिकॉप्टर इस्तेमाल किए जाते हैं। इनमें Astar 350, B2, B3, B3E, B4 और EC120 काफी चर्चित मॉडल हैं। राष्ट्रों के हिसाब से हेलिकॉप्टरों के टाइप अलग हो जाते हैं। जैसे इटली और ग्रीस में Bells 205, 212, 214 और 412 हेलिकॉप्टर इस्तेमाल होते हैं जबकि हिंदुस्तान में Mi सीरीज़ के।
कैसे होते हैं कठिन हालात?
इन हेलिकॉप्टरों को वैसे आग के बहुत पास और उसकी लाइन में ही रहना होता है इसलिए कई बार धुएं के कारण दिखाई देने में कठिनाई होती है। एक से ज़्यादा हेलिकॉप्टर एक साथ फायर फाइटिंग में हो तो आग और धुएं के चलते सामंजस्य में दिक्कतें होती हैं। आग के फैलाव के अनुसार कई बार पायलटों को घंटों या फिर दिनों या हफ्तों तक भी जूझना पड़ता है।
जंगलों की आग बुझाने के लिए तैनात किए जाने हेलिकॉप्टरों को खास तौर से ट्रेंड पायलट ही उड़ाते हैं। साथ ही, इस दौरान पायलटों और हेलिकॉप्टर में तैनात अन्य आदमी के लिए निर्धारित बचाव सूट और कपड़े आदि पहनने की बाध्यता होती है।