उत्तराखण्ड

अद्भुत है ये मंदिर, यहां पहुंचने के लिए लोगों को 15 किमी की खड़ी चढ़ाई पार कर होता है पहुंचना

सोमेश्वर और भीटारकोट के बीच ऊंची चोटी और बांज, बुरांश के जंगलों के बीच स्थित ऐड़ाद्यो मंदिर अपनी चमत्कारिक शक्तियों के लिए मशहूर है. इसे दक्षिणी कैलाश के नाम से पहचान मिली है. यह मंदिर पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो सकता है लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए कई किमी का पैदल रास्ता तय करना पड़ता है. लोग वर्षों से रोपवे निर्माण की मांग कर रहे हैं.

ऐड़ाद्यो मंदिर की स्थापना करीब 80 वर्ष पहले महादेव गिरी महाराज ने की थी. इस मंदिर से हिमालय दर्शन होते हैं. दोनों तरफ खाई और ऊंची चोटी पर स्थित होने से यह मंदिर हवा में झूलता नजर आता है. क्षेत्रीय लोगों के अनुसार इसकी स्थापना करने वाले महादेव गिरी महाराज अपनी चमत्कारिक शक्तियों से यहां पहुंचने वाले भक्तों के लिए ऑयल की स्थान पानी में पूरी तलते थे. इस मंदिर में ईश्वर शिव विराजमान है.

ऐसे पहुंचें- यहां पहुंचने के लिए लोगों को भीटारकोट से बदहाल रास्तों के बीच दो किमी और दौलाघट से 15 किमी की खड़ी चढ़ाई पार कर पहुंचना होता है. दुर्गम रास्ता होने से भक्तों और पर्यटकों के लिए यहां पहुंचना किसी चुनौती से कम नहीं हैं.

इसलिए हो रही रोपवे की मांग

भीटारकोट के लोगों का बोलना है यदि गांव से मंदिर तक रोपवे का निर्माण किया जाए तो, यह धार्मिक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हो सकता है और इससे क्षेत्र में रोजगार के द्वार खुल सकते हैं जो पलायन भी रोकेगा.

सावन में होती है भागवत कथा

मंदिर के पुजारी शिव गिरी और विशंबर गिरी का बोलना है कि यहां सावन में भागवत कथा का आयोजन होता है, इसमें शामिल होने से अल्मोड़ा के साथ ही बागेश्वर, गरुड़, कौसानी से भक्त और पर्यटक पहुंचते हैं.

मंदिरों को धार्मिक पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करने की योजना संचालित है. अभी ऐड़ाद्यो मंदिर तक रोपवे निर्माण की कोई योजना नहीं है. यहां धार्मिक पर्यटन की आसार को तलाशा जाएगा.

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