उत्तराखण्ड

आज पूरे विधि विधान से बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए किया बंद

  बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) को ईश्वर विष्णु का दूसरा निवास जगह बोला जाता है यहां सतयुग तक ईश्वर नारायण के साक्षात दर्शन सभी भक्तों को हुआ करते थे 6 महीने ग्रीष्मकाल में मनुष्यऔर 6 महीने शीतकाल में देवता नारायण की पूजा करते हैं देवताओं के प्रतिनिधि के तौर पर देवर्षि नारद द्वारा यह कार्य संपन्न किया जाता है और वही अखंड ज्योति को जलाए रखते हैं बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (BKTC) के मीडिया प्रभारी डॉ हरीश गौड़ ने कहा कि पंच पूजाओं के पांचवें दिन यानी आज (शनिवार) को मुख्य पुजारी रावल ने महिला वेष धारण कर माता लक्ष्मी को बद्रीनाथ मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान किया उसके बाद उद्धव जी और कुबेर जी को मंदिर प्रांगण में लाया गया और दोपहर 3:33 बजे धाम के कपाट बंद कर दिए गए

बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बोला कि बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के अनुसार शुक्रवार को माता लक्ष्मी की पूजा कर उन्हें बद्रीनाथ मंदिर के गर्भ गृह में विराजमान होने का आमंत्रण दिया गया था इस दौरान मंदिर में पूजा-अर्चना की गई शुक्रवार को धर्माधिकारी राधाकृष्ण थपलियाल और वेदपाठी रविंद्र भट्ट और लक्ष्मी मंदिर के पुजारियों ने मां लक्ष्मी की पूजा की और उन्हें कढ़ाही भोग लगाया आज पूरे विधि विधान से बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए

कपाट बंद होने के बाद यहां निवास करते हैं नारायण

बद्रीनाथ धाम के पूर्व धर्माधिकारी भुवन उनियाल बताते हैं कि पांडुकेश्वर में स्थित योग ध्यान बद्री मंदिर और जोशीमठ के नृसिंह मंदिर के दर्शन का फल बद्रीनारायण के दर्शनों के समान माना गया है, क्योंकि पांडुकेश्वर में ईश्वर नारायण के दर्शन सभी भक्त शीतकाल में करते हैं, जब आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी नृसिंह मंदिर में विराजित की जाती है इसलिए जो तीर्थ यात्री किन्हीं कारणों से बद्रीनाथ धाम नहीं पहुंच पाते, उन्हें इन शीतकालीन गद्दी स्थलों पर ईश्वर के दर्शन करने चाहिए

 

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