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अजीब घटना!पैसों के लिए की फर्जी शादियां,सामूहिक विवाह में खूब हुआ बवाल

आपने सभी बुजुर्गों को यह कहते सुना होगा कि विवाह सात जन्मों का बंधन है, यह स्वर्ग में निश्चित है. क्या आपने कभी पैसों के लिए अरेंज मैरिज के बारे में सुना है? जी हां कालीगाला में ऐसी कहानियां हो रही हैं. पैसों के लिए फर्जी शादियां हो रही हैं.

सरकार से सब्सिडी की मांग को लेकर यहां-वहां भारी बवाल हो रहा है. ऐसी भी खबरें आई हैं कि सरकारी पैसा पाने के लिए लोग स्वयं से विवाह कर रहे हैं. तो यह घटना कहां घटी, यहां इस प्रश्न का उत्तर है कि पैसे के लिए विवाह क्या है.

उत्तर प्रदेश में एक सामूहिक शादी कार्यक्रम में ऐसी अजीब घटना घटी. इसमें महिला-पुरुष समेत दलाल शामिल हैं. 25 जनवरी को एक विशाल सामूहिक शादी कार्यक्रम आयोजित किया गया. मालूम हो कि 15 से अधिक शादियां हो चुकी हैं.

पैसे के लिए विवाह क्या है?

उत्तर प्रदेश गवर्नमेंट ने सामूहिक शादी करने वाले जोड़ों को नकद राशि प्रदान करने की योजना प्रारम्भ की है. दुल्हन के लिए 35,000 और शादी सामग्री के लिए 10,000 और आयोजन के लिए 6,000, कुल 51,000 रुपये की सब्सिडी दी जाएगी. इस पैसे को कमाने के लिए नकली शादियाँ की जाती हैं.क्या आप जानते हैं नकली विवाह का क्या हुआ?

देखिए, यह बोलना असत्य नहीं है कि यदि आपको पैसा दिखेगा तो आप अपना मुंह खोल देंगे. यहां पैसों के लिए सरकारी ऑफिसरों ने एक आइडिया निकाला है. उन्होंने लड़के और लड़की को दो-दो हजार देने का लालच दिया. वे विवाह की तरह व्यवहार करते हैं और उनसे कुछ डॉक्यूमेंट्स लेते हैं और उन्हें भेज देते हैं. लेकिन उनके खाते में गवर्नमेंट की ओर से 51 हजार की सब्सिडी जमा होती है. इसमें सरकारी अधिकारी और क्षेत्रीय नेता शामिल हैं.

दूल्हा-दुल्हन ने बिना जोड़े के ही एक दूसरे को वरमाला पहनाई

इस सामूहिक शादी कार्यक्रम में दूल्हा-दुल्हन की पोशाक पहनकर लाए गए कुछ लोगों ने दूसरों को माला देने से इनकार कर दिया और वहीं खड़े होकर स्वयं ही माला पहनाने लगे. बाद में पता चला कि उन्हें एडवांस के तौर पर 2 हजार रुपये दिये गये थे. ऐसा लगा मानो उन्हें माला पहनकर वहीं खड़े रहने का निर्देश दिया गया हो. 19 वर्षीय पुरुष राज कुमार ने बोला कि उसे दूल्हे के रूप में पोज देने के लिए भुगतान किया गया था और कई अन्य लोगों को इसमें भाग लेने के लिए विवश किया गया था.

अधिकारियों ने मुद्दे की जांच और लाभार्थियों का सत्यापन करने के लिए तुरंत तीन सदस्यीय समिति का गठन किया. कहा गया है कि जांच पूरी होने तक आरोपियों को कोई पैसा ट्रांसफर नहीं किया जाएगा. किसी भी वित्तीय लेनदेन के होने से पहले ही घोटाले का भंडाफोड़ हो गया, जिससे असली लाभार्थियों के लिए सरकारी धन के दुरुपयोग को रोका जा सका. इस घटना ने ऐसे सामुदायिक आयोजनों की अखंडता के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं और बार-बार सरकारी योजनाओं में फर्जीवाड़ा गतिविधियों को रोकने के लिए कठोर नज़र की जरूरत पर बल दिया है.

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