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लंबी दूरी की इस यात्रा के लिए भारी मात्रा मे ईंधन की जरूरत

मंगल ग्रह पर जाने में एक सबसे बड़ी चुनौती है, लंबी दूरी की इस यात्रा के लिए भारी मात्रा मे ईंधन की जरूरत! वैज्ञानिक कई वर्षों से ऐसे तरीका खोज रहे हैं, जिससे मंगल ग्रह की यात्रा का ना सिर्फ़ समय कम हो, बल्कि कम से कम ईंधन में भी यह यात्रा तय हो सके. इसी दिशा में नासा के वैज्ञानिक एक नए प्रयोग के अनुसार एक अनोखा अंतरिक्ष यान लॉन्च कर रहे हैं जो हमें मंगल ग्रह पर यात्रा की इस परेशानी को सुलझाने में काफी सहायता कर सकता है. नासा के एडवांस्ड कम्पोजिट सोलर सेल सिस्टम, या ACS3, को इस हफ्ते कक्षा में उड़ान परीक्षण के लिए लॉन्च किया जाना है.

नासा मिशन सूर्य के प्रकाश की प्रपल्शन यानी प्राणोदक शक्ति का इस्तेमाल करके हमारे सौर मंडल में आवाजाही करने के एक नए ढंग का परीक्षण करेगा. ACS3 न्यूजीलैंड के माहिया प्रायद्वीप से एक रॉकेट लैब इलेक्ट्रॉन रॉकेट पर लॉन्च होगा. रॉकेट लैब का अंतरिक्ष यान मिशन के क्यूबसैट को पृथ्वी से लगभग 600 मील ऊपर तैनात करेगा जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की ऊंचाई से दोगुने से भी अधिक है.

पहले करना होगा यह काम
ACS3 के प्रदर्शन का परीक्षण करने के लिए, इसे पाल पर सूरज की रोशनी के छोटे बल के लिए पर्याप्त उच्च कक्षा में होना चाहिए जिससे वायुमंडलीय खिंचाव को दूर कर ऊंचाई हासिल की जा सके. यह पाल जो मानव हथेली पर आराम करने वाले पेपरक्लिप के वजन के बराबर है. लगभग दो महीने तक चलने वाले प्रारंभिक उड़ान चरण और सबसिस्टम चेकआउट सहित, माइक्रोवेव ओवन के आकार का क्यूबसैट अपने परावर्तक सौर सेल को तैनात करेगा.

 

कैसे करेगा काम?
यह सौर पाल खुलने के बाद लगभग 30 फीट लंबा होगा. हफ्ते भर चलने वाले परीक्षण में पाल पर सिर्फ़ सूर्य के प्रकाश के दबाव का इस्तेमाल करके कक्षा को ऊपर उठाने और कम करने का प्रदर्शन करने के लिए अभ्यास की एक सीरीज शामिल है. नासा का बोलना है कि ACS3 अंतरिक्ष में यात्रा करने, पहुंच बढ़ाने और चंद्रमा, मंगल और उससे आगे तक कम लागत वाले मिशनों को सक्षम करने की अपनी क्षमता साबित करने के लिए तैयार है.

 

यह नासा द्वारा जीवन की उत्पत्ति के बारे में और अधिक जानने के कोशिश में शनि के चंद्रमाओं में से एक पर अपने मिशन के लिए संशोधित लॉन्च तिथि की घोषणा के बाद आया है. अंतरिक्ष एजेंसी ने पुष्टि की है कि ग्रह के सबसे बड़े चंद्रमा टाइटन पर उसका ड्रैगनफ्लाई ड्रोन मिशन जुलाई 2028 में लॉन्च होने वाला है.

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