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स्टेज पर दूल्हा-दुल्हन की यह हरकत देख हैरान हुए बाराती

आजकल लोग विवाह के कार्ड में परिवार के लोगों तक का नाम छोड़ देते हैं, लेकिन सागर के एक पुरुष के द्वारा छपवाए गए विवाह के कार्ड चर्चा का विषय बने हुए हैं. इसमें उसने अपने परिवार और बच्चों के साथ कुत्तों (डॉग) के नाम भी भोभों पार्टी के नाम से छपवाए हैं. जिस तरह से विवाह कार्ड में बच्चा पार्टी नटखट पार्टी का नाम होता है, वैसा ही भौं भौं पार्टी में रॉकी, जोजो, कालू और लालू के नाम हैं. इसी वजह से यह विवाह का कार्ड सुर्खियां बटोर रहा है.

इतना ही नहीं ये डॉग संगीत से लेकर हल्दी की रस्म तक और दूल्हे की निकासी से लेकर मंडप तक साथ दिखाई दिए. दूल्हे के साथ इन्होंने जमकर डांस भी किया, सगाई के समय भी यह मंच पर दूल्हा दुल्हन के साथ तस्वीर खिंचवाते हुए नजर आए.

रिश्तेदारों ने हल्दी का टीका लगाकर विदा किया
दरअसल, सागर के रानीपुर में रहने वाले यशवंत उर्फ राहुल रैकवार की विवाह 21 अप्रैल को यूपी के महरोनी की चंचल रैकवार से हुआ था. 27 जनवरी को उनकी सगाई हुई थी, जिसमें रॉकी और जोजो भी मेहरोनी गए थे. बाकायदा मंच पर दूल्हे दुल्हन के साथ उनकी तस्वीर भी खींची गई थी. विदाई के समय लड़की वालों ने दोनों का हल्दी लगाकर टीका भी किया था.

इन कुत्तों को  परिवार के सदस्य की तरह मानते हैं
यशवंत रैकवार मीडिया को बताते हैं कि करीब 5 वर्ष पहले भी अपने मित्र को छोड़कर घर लौट रहे थे. रास्ते में उनकी वाहन का पहिया एक कुत्ते के बच्चे के ऊपर आ गया था, जिसका उन्हें दुख हुआ. वाहन से रुककर देखा, तो वह जिंदा था. उसके बाद वह उसे अपने साथ घर लेकर आ गए और देखभाल करने लगे. ऐसे इनसे जुड़ाव हो गया, फिर धीरे धीरे 4 डॉग हो गए, जिनके नाम रॉकी ,जोजो, लालू ,कालू हैं. अब यह परिवार के सदस्यों की तरह हो गए हैं. इनके रहने खाने के लिए अलग से प्रबंध है. हर महीने स्वास्थ्य परीक्षण करते हैं. वाहन से घूमने के लिए जाते हैं. बारात में भी इनको लेकर गए थे. लेकिन यह घर आते जाते रहे क्योंकि दूसरे लोगों को इसे डर बना रहता है.

 

इसके आगे यशवंत कहते हैं कि आजकल आवारा मवेशियों या कुत्तों को देखकर लोग उनके साथ हाथापाई करते हैं. जिससे कभी उनका पैर टूट जाता है, तो कभी शरीर के अन्य हिस्से में चोट आ जाती है. ऐसे लोगों से हम कहते हैं कि जब आप उन्हे खिला नहीं सकते रख नहीं सकते, तो फिर मारने का भी आपको कोई अधिकार नहीं है. क्योंकि वह आपसे कुछ लेने के लिए नहीं आए हैं. जिस तरह से ईश्वर इंसानों की सहायता करता है, इस तरह इंसानों को ऐसे मूक जानवरों की सहायता करनी चाहिए.

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