खुल सकते हैं सौरमंडल के बहुत से राज, वैज्ञानिकों ने किया बड़ा खुलासा
वैज्ञानिक कहते रहते हैं कि पृथ्वी और शुक्र ग्रह एक समय एक ही जैसे ग्रह थे। दोनों की समानताओं के देखते हुए वे दोनों को सिस्टर प्लैनेट कहते हैं। लेकिन उनमें कुछ अंतर हैं। पृथ्वी की सतह पर प्रचुर मात्रा में तरल पानी है जबकि शुक्र पर नहीं है। इतना बड़ा अंतर कैसे आया इस अध्ययन चल रहे हैं। लेकिन 2021 बेपीकोलंबो मिशन के नए नतीजों से पता चला है कि शुक्र के ऊपरी वायुमंडल से गैसें निकल रही हैं, यानी कि शुक्र ग्रह पर रिसाव हो रहा है। इन नतीजों के बड़े असर हो सकते हैं।
बुध ग्रह की पड़ताल के मकसद से गए यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएक्सए) के बीच एक संयुक्त अभायन, 2021 बेपीकोलंबो मिशन के नए नतीजों से पता चला है कि शुक्र के ऊपरी वायुमंडल से ऑक्सीजन सहित गैसें निकल रही हैं।
नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में प्रकाशित, शोध ने शुक्र के वायुमंडलीय विकास को समझने के महत्व को कहा है। शुक्र पर पृथ्वी की तरह मजबूत चुंबकीय क्षेत्र नहीं है। इसका ऊपरी वायुमंडल सौर हवा और सूर्य से निकालने आवेशित कणों के प्रवाह के संपर्क में है। यह परस्पर क्रिया सौर पवन और शुक्र के ऊपरी वायुमंडल के बीच की आयनों, विशेष रूप से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन आयनों को अंतरिक्ष में ले जाने का कारण बन सकती है।
ये आयन सौर पवन के कारण ग्रह के वायुमंडल से अलग हो जाते हैं। यह प्रक्रिया, जिसे वायुमंडलीय पलायन के रूप में जाना जाता है, समय के साथ शुक्र से वायुमंडल के क्रमिक हानि में सहयोग दे रही है। शुक्र पर वायुमंडलीय पलायन के तंत्र को समझने से इसके विकास और उन स्थितियों को समझने में सहायता मिल सकती है जो इसकी वर्तमान स्थिति का कारण बन सकती हैं।
शुक्र के पास से गुजरते हुए अपनी उड़ान के दौरान, 90 मिनट से अधिक समय तक एकत्र किए गए बेपीकोलंबो के आंकड़ों ने शुक्र के मैग्नेटोशीथ में काम कर रहे रासायनिक और भौतिक तंत्र को समझने में सहायता की। शुक्र में आंतरिक चुंबकीय क्षेत्र का अभाव है, लेकिन सौर पवनों के कारण एक प्रेरित मैग्नेटोस्फीयर है, जो इसके मैग्नेटोशीथ को आकार देता है। शोध पृथ्वी के जलवायु बदलाव को समझने के साथ उसकी भावी संभावनाओं को जानने में भी मददगार होगा।