स्कूल यूनिफॉर्म में लड़कियों की स्कर्ट आदेश पर उनके माता पिता उतरे विरोध करने पर…
स्कूल यूनिफॉर्म में मर्यादा एक संस्कृति का मामला है। कई स्थान यह मामला धार्मिक हो जाता है। लेकिन यूके जैसे विकसित राष्ट्र में भी यूनिफॉर्म को लेकर एक खासा हंगामा होने की समाचार है जिसें विद्यालय ने लड़कियों की स्कर्ट को लेकर जो आदेश दिया था उसका उनके माता पिता खासा विरोध करने पर उतर आए। एक तरफ इस स्कर्ट के साइज को लेकर बहस हो रही है, लोगों का मानना है कि असल परेशानी इस यूनिफॉर्म के महंगा होना है जिस पर विद्यालय को अधिक गंभीरता से गौर करना चाहिए।
यूके में लिमिंगटन हैंट्स के प्रीस्टलैंड्स विद्यालय के बच्चों के अभिभावक विद्यालय से खासे नाराज हैं क्योंकि उनकी बच्चियों के लिए खास बेस्पोक टार्टन स्कर्ट यूनिफॉर्म के तौर पर जरूरी कर दी गई है। उनका बोलना है कि यह स्कर्ट बच्चों की टागों को अधिक ही ढकती है और लिमिंगटन हैंट्स के प्रीस्टलैंड्स विद्यालय का यह निर्णय बेतुका है। इसे जबरदस्ती ही बच्चों पर लादा जा रहा है।
स्कूल का बोलना है कि यह स्कर्ट एक सुपरमार्केट से 45 पाउंड यानी करीब 4800 रुपये में खरीदनी होगी। अविभावकों का करना है कि यह यूनिफॉर्म बच्चों पर जबर्दस्ती लादी गई है जिससे उन्हें “अपने पैरों का प्रदर्शन करने से” रोका जा सके। विद्यालय में पहले से चल रही प्लेन गहरे रंग की स्कर्ट को शहर के मेयर ने “लज्जित करने वाली” करार दिया था, जिसके बाद प्रीस्टलैंड विद्यालय के बच्चों के माता पिताओं में खासा रोष है।
इन मातापिता में इस बात से खासी नाराजगी है कि इस बेतुके से मामले के खामख्वाह तूल दिया जा रहा है। एक मां का बोलना है कि यह वाकई बहुत ही बुरी बात है कि जहां परिवार बच्चों को खाना देने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, विद्यालय इस तरह के काम में लगा हुआ है। बहुत से माता पिता का दावा है कि यह यूनिफॉर्म इसी लिए लाई गई है जिससे बच्चियां स्कर्ट छोटी ना कर सकें।
अविभावकों का बोलना है कि वे विद्यालय का बायकॉट कर देंगे। एक पेरेंट का यह तक बोलना था कि विद्यालय को शिक्षा कि गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए ना कि इस पर कि लड़कियों कि टांग कितनी दिख रही है। दरअसल इस टकराव की एक वजह एक ही स्थान से खरीदने का आदेश है क्योंकि नियम यही कहता है कि यूनिफॉर्म का सिर्फ़ एक सप्लायर नहीं होना चाहिए। वहीं स्कर्ट की अधिक मूल्य जो कि 37 से 47 हजार रूपये के बीच है, महंगी मानी जा रही है। यहां तक कि मेयर तक ने इस आदेश को वापस लेने की निवेदन की है।