वायरल

अजब गजब! यहां निभाई जाती हैं उल्टी परंपरा, दुल्हन लाती हैं बारात दुल्हे की होती हैं विदाई

अजब गजब न्यूज डेस्क !! हमारा राष्ट्र विविधताओं का राष्ट्र है. जहां हर धर्म और जाति के लोग एक साथ रहते हैं साथ ही हर धर्म और जाति की भिन्न-भिन्न संस्कृति होती है. इसीलिए हमारा राष्ट्र अन्य राष्ट्रों की तुलना में अधिक सभ्य और अलग माना जाता है. हिंदुस्तान में विभिन्न संस्कृतियों के लोग निवास करते हैं. इनका पहनावा, खान-पान और मान्यताएं एक-दूसरे से अलग हैं. आज हम आपको हिंदुस्तान की एक ऐसी जनजाति के बारे में बताने जा रहे हैं जहां विवाह के बाद दुल्हन को नहीं बल्कि दूल्हे को विदा किया जाता है.

यहां दुल्हन को दूल्हे के घर नहीं बल्कि दूल्हे को दुल्हन के घर जाना पड़ता है. दरअसल, यह परंपरा मेघालय की खासी जनजातियों के बीच आज भी मान्य है. यह मातृसत्तात्मक समाज है आपको बता दें कि इस जनजाति में मां के नाम पर वंश परंपरा चलती है. इसीलिए इस समुदाय में पैतृक संपत्ति पर पहला अधिकार स्त्रियों का होता है. लड़के-लड़कियों को विवाह के लिए साथी चुनने की पूरी आजादी दी जाती है.

इसके अतिरिक्त इस समुदाय की सबसे खास बात ये है कि खासी समुदाय में किसी भी तरह का दहेज लेने या देने की कोई प्रबंध नहीं है जो इस समुदाय की एक खास बात है महिलाएं जब चाहे विवाह तोड़ सकती हैं परिवार में सबसे छोटी बेटी पर सबसे अधिक जिम्मेदारी होती है. वह घर की संपत्ति की मालिक है. आपको बता दें कि हिंदुस्तान में खासी लोगों की संख्या करीब 9 लाख है. इनकी अधिकांश जनसंख्या मेघालय में रहती है. उनकी जनसंख्या का एक हिस्सा असम, मणिपुर और पश्चिम बंगाल में रहता है.

यह समुदाय झूम खेती के माध्यम से अपनी आजीविका कमाता है. इसका संगीत से गहरा संबंध है वे गिटार, बांसुरी, ड्रम आदि जैसे विभिन्न संगीत वाद्ययंत्र गाते और बजाते हैं. आपको बता दें कि खासी जनजाति के लोग म्यांमार में रहते थे. इसके बाद यह जनजाति वहां से पलायन कर हिंदुस्तान के पूर्वी असम में रहने लगी. इसके बाद धीरे-धीरे उनकी जनसंख्या मेघालय में बसने लगी. इस जाति की भाषा खासी है.

खासी जनजाति के अतिरिक्त मेघालय की दो अन्य जनजातियों गारो और जैन्तिया में भी यही प्रथा अपनाई जाती है. इन दोनों जातियों में खासी जनजाति जैसी ही प्रथाएं अपनाई जाती हैं. यहां भी दूल्हा विवाह के बाद अपने ससुराल में रहने चला जाता है. आपको बता दें कि आमतौर पर हिंदुस्तान में देखा जाता है कि लड़के के जन्म पर अधिक खुशी मनाई जाती है. लेकिन खासी जनजाति में बेटी के जन्म पर पूरा परिवार उत्सव मनाता है.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button