न घोड़ा, न गाड़ी, बैलगाड़ियों के काफिले के साथ बारात लेकर पहुंचा दूल्हा
शादी के उत्सव को यादगार बनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। आज के समय में कोई हेलीकॉप्टर से विवाह करने जाता है, तो किसी की विवाह में जेसीबी से मटकोर करवाया जा रहा है। ऐसा ही एक मुद्दा मधुबनी जिले के जयनगर प्रखंड स्थित बेलही गांव से सामने आया है। बारात के काफिले में दर्जनों चारपहिया वाहनों और बस के साथ आधा दर्जन से अधिक बैलगाड़ी भी शामिल था। सभी बैलगाड़ी के चालक का ड्रेस पीला कुर्ता था। अब इस विवाह की चर्चा क्षेत्र में खूब हो रही है।
बैलगाड़ी पर नहीं था कोई बाराती
बारात में बैलगाड़ी का जाना जितना कौतूहल का विषय था, उतनी ही आश्चर्य करने वाली बात यह थी कि इसपर एक भी बाराती नहीं था। नदिया के पार फिल्म के गीतों के धुन ‘कौन दिशा में ले के चला रे बटोहिया’ पर जब एक साथ सभी बैलगाड़ी दूल्हे के दरवाजे से खुली, तो हर कोई उसका वीडियो बनाने लगा। चार घंटे बाद बारात जिले के बाबूबढ़ी प्रखंड के ढेरुआ गांव पहुंची। वहां भी लोग बारात के काफिले में बैलगाड़ी को देख चौंक गए। इस वाहन पर मिथिलांचल की परंपरा के मुताबिक दुल्हन के लिए संदेश का सामना रखा गया था, जिसमें चूरा, दही, मिठाई समेत अन्य सामान थे।
मिठाई का कारीगर है दूल्हा
दूल्हे का नाम पुलिंदर कुमार है और वह हैदराबाद के एक होटल में मिठाई का कारीगर है। वहीं पर अपने दो बड़े भाइयों के साथ रहता है। जबकि,दूल्हे के पिता सुरुजदेव यादव किसान हैं। उनके घर पर एक ट्रैक्टर और 4 भैंस है। दूल्हे की मां ने कहा कि घर में छोटे बेटे की विवाह थी। इसलिए हर्षोल्लास से मिथिलांचल की संस्कृति को बरकरार रखते हुए परिवारवालों ने यह निर्णय लिया। जबकि उसके चचेरे भाई ने कहा कि हमलोग इस विवाह में कुछ अलग करना चाहते थे, इसलिए बैलगाड़ी को शामिल किया गया। दुल्हन की विदाई कराकर दूल्हा ससुराल से आएगा।