13 साल तक अपने ही शरीर में कैद था ये शख्स, ठीक होने पर बयां की दर्द भरी कहानी
एक शख्स ने एक दशक से अधिक समय तक अपने ही शरीर में “भूत की तरह” फंसे रहने की भयावह वास्तविकता साझा की है। उसका बोलना है कि इस दौरान वह बात करने, हिलने-डुलने या किसी को यह बताने में असमर्थ था कि वह जाग रहा था। लेकिन 10 वर्ष बाद उनकी उपचार हो सका और फिर व्हील चेयर पर होने के बावजूद उन्होंने स्वयं को सामान्य जीवन जीने लायक बना लिया।
दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग के 47 वर्षीय मार्टिन पिस्टोरियस जब 12 साल के थे, तब गले में खराश के साथ विद्यालय से घर आए। उनकी हालत तेजी से खराब हो गई। जांच में पता चला कि उन्हें क्रिप्टोकोकल मेनिनजाइटिस और मस्तिष्क के तपेदिक है। उनका शरीर कमज़ोर हो गया और उन्होंने बोलने और अपनी गतिविधियों को नियंत्रित करने की क्षमता खो दी, जिससे वो गूंगे हो गए और व्हीलचेयर से बंध गए।
उनके माता-पिता को कहा गया कि उन्हें एक अज्ञात अपक्षयी रोग है, जिसके कारण उनकी मानसिक स्थिति एक बच्चे जैसी हो गई है और उनका जीवन दो वर्ष से भी कम बचा है। लेकिन उसनका दिमाग चार वर्ष बाद वापस आ गया, बावजूद इसके कि वे अभी भी संवाद करने या हिलने-डुलने में असमर्थ थे, जिससे वो अपने ही शरीर में एक कैदी बनकर रह गए थे।
मार्टिन ने कहा, कुछ देखभाल करने वालों ने यह सोचकर भी उनके साथ दुर्व्यवहार किया कि उन्हें अपने परिवेश के बारे में कोई जानकारी नहीं है। यहां तक कि उनका यौन उत्पीड़न तक हुआ। वे उस दिन की प्रतीक्षा कर रहे थे जब कोई यह नोटिस करेगा कि उसका दिमाग फिर से एक्टिव हो गया है, ताकि वो अपनी वास्तविकता से मुक्त हो सकें। उनकी दुनिया 2001 में तब बदल गई जब वह 25 साल के थे, जब वे जिस डे सेंटर में रुके थे।
वहां की एक अरोमाथेरेपिस्ट विरना वान डेर वॉल्ट को समझ में आया कि वह उन बातों पर प्रतिक्रिया कर रहे थे जो वह कह रही थीं। इसके बाद उसका परीक्षण किया गया। एक वर्ष के भीतर, उन्होंने संवाद करने के लिए कंप्यूटर प्रोग्राम का इस्तेमाल करना प्रारम्भ कर दिया और उनके शरीर में फिर से ताकत आनी प्रारम्भ हो गई। आज वे एक पति, पिता और सफल कंप्यूटिंग व्यवसायी की जीवन जी रहे हैं।