बिहार

आजादी के बाद इस स्थान को कहा जाने लगा बिहार का दांडी

बेगूसराय बिहार के बेगूसराय जिले का गढ़पुरा अंचल नोनिया मिट्टी का क्षेत्र रहा है इस क्षेत्र में साल 1930 से पहले तक नोनिया समुदाय के लोग अंग्रेजी हुकुकत के आदेश पर नमक बनाते थे यहां से तैयार नमक बिहार में अंग्रेजों के द्वारा बेचा जाता था जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने साबरमती में नमक कानून तोड़ा तो बिहार के मुंगेर जिला वासी और बिहार के प्रथम सीएम रहे डाक्टर श्रीकृष्ण सिंह ने भी यहां से अप्रैल 1930 में नमक सत्याग्रह आंदोलन की शुरूआत की थी इस आन्दोलन में शामिल गढ़पुरा के नोनिया समाज ने नमक कानून का विरोध किया था आजादी के बाद इस जगह को बिहार का दांडी बोला जाने लगा

हर वर्ष अप्रैल में करते हैं सत्याग्रह
नमक सत्याग्रह स्थल गढ़पुरा को लेकर मीडिया बिहार ने लोगों से वार्ता की इसमें पता चला कि यहां पर हर वर्ष अप्रैल महीने में क्षेत्र के विकास को लेकर सत्याग्रह होता है इसके साथ ही बिहार के प्रथम सीएम डाक्टर श्रीकृष्णा सिंह को हिंदुस्तान रत्न दिए जाने की भी मांग की जाती है

इस सत्याग्रह आंदोलन का ही इंपैक्ट है की इस प्रखंड में रेलवे स्टेशन, बड़े सरकारी स्कूल, हॉस्पिटल सहित अन्य संस्था डाक्टर श्रीकृष्ण सिंह के ही नाम से खोला गया है क्षेत्रीय लोग मानते हैं कि इसी आंदोलन की वजह से बेगूसराय जिले का भी काफी विकास हो रहा है बिहार के लगभग सभी सीएम ने इस स्थल का दौरा कर क्षेत्र के विकास के लिए योजनाएं दी

नोनिया समाज के लोग आज भी बना लेते हैं मिट्टी से नमक
स्थानीय इतिहासकार सह पत्रकार अरुण चन्द्र झा ने मीडिया से कहा कि इस क्षेत्र के काफी भूभाग में नोनिया मिट्टी पाई जाती है आज भी इस क्षेत्र में खेती न के बराबर होती है नोनिया मिट्टी पाए जाने की वजह से यहां के नोनिया समुदाय ने अंग्रेजों के पूरे शासन काल में नमक बनाने का काम किया था यहां रहने वाले हरिहर दास ने कहा कि मैंने नमक बनाने का तरीका अपने पिताजी से सीखा था यहां जो भी मंत्री आते हैं, उन्हें नमक बनाकर हम ही दिखाते हैं साल 1930 तक नमक के कारोबार की देखरेख बुद्धू नोनिया ने की थी वह बताते हैं कि नमक बनाने की विधि को तस्वीरों पर भी उकेरा गया है क्षेत्रीय विक्रम की मानें तो इसी नमक सत्याग्रह कानून के भंग करने से मिली पहचान ने डाक्टर श्रीकृष्ण सिंह को बिहार का प्रथम सीएम बनाया था

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