बिहार

दूसरी जातियों में भी सहानुभूति के वोट पाने की कोशिश कर रहे हैं पप्पू यादव

पटना. लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में बिहार के पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, भागलपुर और बांका मत डाले जाएंगे. इनमें तीन सीटें सीमांचल की तो दो अंग क्षेत्र की हैं. ऐसे तो सभी सीटों पर मुकाबला कड़ा है, लेकिन सीमांचल के तीन सीटों पर दिलचस्प लड़ाई है. बाजी किसके हाथ में जाएगी ये अभी कोई भी साफ-साफ बताने के हालात में नहीं है. लेकिन, दावा दोनों तरफ से किया जा रहा है कि जीत उन्हीं की होगी. हालांकि, सीमांचल की राजनीति क्या कहती है, ये आप जरूर जानना चाहेंगे. तो आइये इसका आकलन किया जाए.

बता दें कि सीमांचल में दूसरे चरण के अनुसार कटिहार, पूर्णिया और किशनगंज की तीन सीटों पर चुनाव है. इनमें पिछली बार किशनगंज कांग्रेस पार्टी की झोली में गया था और कटिहार और पूर्णिया जदयू के खाते में था. इस बार एनडीए को न केवल अपनी दो सीटें बचाने की चुनौती है, बल्कि किशनगंज सीट को भी जीतने के लिए एनडीए ने पूरी ताकत झोंक रखी है.

किशनगंज में त्रिकोणीय मुकाबले की उम्मीद
किशनगंज सीट की बात करें तो यहां लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है. AIMIM से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान मैदान में हैं, जिनका अपना खास वोट बैंक है. इनकी सीमांचल में खासी पकड़ भी है. बता दें कि 2020 के बिहार विधान सभा चुनाव में AIMIM ने पांच विधान सभा सीटों पर जीत हासिल की थी और इस बार भी पार्टी ने पूरी ताकत झोंक रखी है. असदुद्दीन ओवैसी भी लगातार जनसभाएं कर रहे हैं और निशाने पर एनडीए के साथ साथ कांग्रेस पार्टी और INDI गठबंधन को भी ले रहे हैं. वहीं, कांग्रेस पार्टी से सीटिंग सांसद मो. जावेद हैं और कांग्रेस पार्टी की परंपरागत सीट को अपने पाले में करने की बड़ी चुनौती है. राहुल गांधी ने भी अपनी यात्रा के दौरान किशनगंज में पार्टी उम्मीदवार के लिए कांग्रेसियों में जान फूंकी है. कांग्रेस पार्टी को आशा है कि उसकी परंपरागत सीट उसके पास रहेगी जिसके लिए गठबंधन ने पूरी ताकत लगा रखी है.

एनडीए से मास्टर मुजाहिद, जानिये समीकरण
एनडीए की तरफ से जदयू के मास्टर मुजाहिद मैदान में हैं और जदयू की प्रयास और आशा है कि AIMIM और कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार के बीच वोटों के बंटवारे में उसके उम्मीदवार की जीत हो सकती है. दरअसल, भाजपा का हिंदू वोट पूरी तरह से जदयू के साथ होने की आशा है और यदि मुसलमान वोट मो. जावेद और अख्तरूल ईमान के बीच बंटा तो इसका लाभ मिल सकता है. किशनगंज सीट के जातीय समीकरण को देंगे तो लगभग 67 फीसदी मुसलमान वोटर हैं और लगभग 31 फीसदी और दो फीसदी में अन्य जाति-धर्मों के वोट हैं. किशनगंज सीट पर तीन प्रमुख मुसलमान जाति है सूरजापूरी, शेरशाहवादी और कुल्हईया मुस्लिम. लेकिन, अजीब इत्तफाक है कि तीनों पार्टी के उम्मीदवार सूरजापुरी हैं.

कटिहार में कांटे की लड़ाई में तारिक और दुलालचंद
अब बात कटिहार की करे जहां मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच है. कांग्रेस पार्टी ने यहां से अपने कद्दावर नेता तारिक अनवर को मैदान में उतारा है. वहीं, उन्हें भिड़न्त दे रहे है कटिहार से जदयू सांसद दुलचंद गोस्वामी जो इस बार भी एनडीए उम्मीदवार हैं. कटिहार भी मुसलमान बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है और यहां की जनसंख्या में लगभग 41 फीसदी मुसलमान हैं और लगभग 59 फीसदी हिन्दू जनसंख्या है. जातीय समीकरण के लिहाज से देखें तो महागठबंधन का पलड़ा भारी दिख रहा है, क्योंकि कटिहार में लगभग 11 फीसदी के आसपास यादव वोटर हैं. हालांकि, जब चुनाव का दिन निकट आता है तब कटिहार में हिंदू मुसलमान की राजनीति चरम पर पहुंच जाती है जिसका लाभ पिछली बार जदयू उम्मीदवार को मिला था. इस बार भी उसी समीकरण पर एनडीए उम्मीदवार आस लगाए हुए हैं.

सबसे हॉट सीट बनी पूर्णिया, यहां भी तीन तरफा लड़ाई
अब बात पूर्णिया की करें तो पूर्णिया सीट इस बार बिहार की सबसे हॉट सीट बन गयी है. दरअसल, इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रहे पप्पू यादव ने इस सीट पर संघर्ष को बहुत रोमांचक बना दिया है. पूर्णिया सीट में मुख्य मुकाबला आरजेडी उम्मीदवार बीमा भारती, जदयू के सीटिंग सांसद संतोष कुशवाहा और निर्दलीय पप्पू यादव के बीच है. पप्पू यादव कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उनका इल्जाम है कि तेजस्वी यादव ने इस सीट पर जान बूझकर बीमा भारती को मैदान में उतारकर उनकी सियासी मर्डर करने की प्रयास की है. इसके बाद वो पहले तो बहुत भावुक हुए फिर पूरी आक्रामकता के साथ मैदान में हैं और अपनी लड़ाई एनडीए से बताते हैं. वहीं, तेजस्वी यादव ने भी इस सीट को अपने पाले में करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. इसका बड़ा उदाहरण ऐसे समझा जा सकता है जब उन्होंने बोला था कि या तो वोट एनडीए को दे दीजिए या महागठबंधन को दीजिए, लेकिन किसी और को नहीं.

पूर्णिया के एनडीए उम्मीदवार को प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का भरोसा
वहीं, जदयू उम्मीदवार संतोष कुशवाहा को आशा है कि पीएम मोदी का लहर और नीतीश कुमार के विकास कार्यों का लाभ और पूर्णिया की शांति के लिए जानता उन्हें वोट देगी. पूर्णिया के लोग शांतिप्रिय लोग हैं और ऐसे लोगों को नहीं चुनेंगे जिसकी वजह से पूर्णिया की शांति भंग हो. बात यदि पूर्णिया के जातीय समीकरण की करें तो पूर्णिया में लगभग  MY समीकरण के वोट में मुसलमान -5 लाख, यादव- 2 लाख, मंडल-2 लाख, आदिवासी-1.2 लाख, ब्राह्मण- 1-1.5 लाख, राजपूत -1-1.5 लाख के साथ साथ SC 3-3.5 लाख वोटर हैं. आरजेडी को जहां MY समीकरण के साथ साथ अपने उम्मीदवार बीमा भारती के अति पिछड़ा वोटर पर है, वहीं संतोष कुशवाहा को लव कुश के साथ साथ सवर्ण और अति पिछड़ा वोटरों के साथ की आशा है.

घर-घर से सहानुभूति बटोरने में लगे हुए हैं पप्पू यादव
इन सबके बीच सबसे दिलचस्प है पप्पू यादव की कवायद  जो ना केवल MY समीकरण में सेंघ लगाने की प्रयास कर रहे हैं, बल्कि इसके साथ-साथ दूसरी जातियों में भी सहानुभूति के वोट पाने की प्रयास कर रहे हैं, जिसकी वजह से आरजेडी उम्मीदवार की कठिनाई बढ़ी हुई है. खास बात यह है कि पप्पू यादव पूर्णिया को अपनी कर्मभूमि बताते रहे हैं और इसका उदाहरण आपको दिख भी जाता है. दरअसल, पप्पू यादव को जानने-मानने वाले पूर्णिया में लगभग हर वर्ग में है. हालांकि उनकी पुरानी छवि को लेकर कही तबकों में काफी संशय अब भी बरकरार है, लेकिन पप्पू यादव लगातार जन संपर्क में लगे हुए हैं और घर-घर जाकर प्रचार कर रहे हैं. ऐसे में जानकार बताते हैं कि यदि जनता की सहानूभूति पप्पू यादव के तरफ रही तो झुकी तो फिर हो सकता है कि महागठबंधन की आपसी लड़ाई का लाभ एनडीए को मिल सकता है.

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