बिहार

सब्जी बेचकर पत्नी को बनाया बैंक में अधिकारी, अब बकरी पालन से…

 बांका: सफलता कभी भी सरलता से नहीं मिलती है इसके लिए कड़ी मेहनत और लगन की आवश्यकता पड़ती है यही कर दिखाया है बांका जिला के अमरपुर प्रखंड भीतर पवईडीह गांव निवासी संजय सुमन ने, जो बकरी पालन कर अच्छी कमाई कर रहे हैं संजय के लिए यहां तक पहुंचना सरल नहीं था संजय को कई तरह के कष्ट को भी झेलना पड़ा पिता की मृत्यु के बाद परिवार की जिम्मेदारी संभालना पड़ा लेकिन हौसला नहीं हारी और मेहनत के दम पर पकरी पालन के क्षेत्र में कामयाबी हासिल की संजय के पास आज विभिन्न नस्ल की 100 से अधिक बकरियां है

संजय सुमन ने कहा कि पिता की मृत्यु के बाद दो भाईयों की जिम्मेदारी कंधे पर आ गई है बीएससी तक पढ़ाई करने के बाद जॉब के लिए मेहनत भी करना प्रारम्भ किया, लेकिन परिवार की जिम्मेदारी के चलते जॉब की सोच को त्यागना पड़ा इसके बाद लोकल हाट में सब्जी बेचने का काम प्रारम्भ किया इससे होने वाली आमदनी से परिवार का भरण-पोषण हो रहा था समय बीतता गया और विवाह भी हो गई स्वयं तो जॉब हासिल नहीं कर पाए, अपने सपने को साकार करने के लिए पत्नी को पढ़ाना प्रारम्भ किया पत्नी ने भी निराश नहीं किया और मेहनत कर बैंक में अधिकारी बन गई इसके अतिरिक्त भाईयों को भी पढ़ाया और सभी भाई अच्छे पद पर आसीन हैं उन्होंने कहा कि यूट्यूब के माध्यम से बकरी पालन का तरीका सीखा और 2022 में बकरी पालन करना प्रारंभ कर दिया उन्होंने कहा कि बकरी पालन के लिए औनलाइन प्रशिक्षण भी लिया शुरूआत में 1.50 लाख लागकर 9 बकरी और एक बकरे को खरीदा

 

 

 

100 से अधिक बकरियां पाल रहे हैं संजय
संजय सुमन ने कहा कि फिलहाल, बर्बरी, बोर, तोतापरी, ब्लैक बंगाल जैसे चार नस्ल की बकरियों का पालन कर रहे हैं वहीं बकरियों की संख्या 100 से अधिक है जिसमें 70 मदर गोट है सालाना 70 से अधिक बकरा तैयार हो रहा है उन्होंने कहा कि बकरी पालन सरल नहीं है कड़ी मेहनत करने के बाद हीं आप सफल ढंग से बकरी पालन कर सकते हैं प्रत्येक नस्ल की बकरियों को भिन्न-भिन्न ब्लॉक बनाकर रखते हैं ठंड के मौसम में विशेष देखरेख की आवश्यकता पड़ती है बकरी को बैठन के लिए चौकी लगाना पड़ता है वहीं गर्मियों में पंखा भी लगाना पड़ता है खाने-पीने के लिए सामान्य बकरियों की तरह हीं भोज्य पदार्थ दिया जाता है ये बकरियां हरा चारा और भूसा भी खा लेती है समय-समय पर बकरियों को रोग से बचाने के लिए वैक्सीन भी लगाते हैं

10 हजार में बिक जाता है देसी नस्ल का बकरा
सुमन सौरभ ने कहा कि बकरी के शेड को तैयार करने में लगभग डेढ़ लाख का खर्च आता है वहीं एक बकरे को तैयार करने में दो हजार की लागत आती है जबकि बाजार में एक बकरे की 8 से 10 हजार मूल्य मिल जाती है उन्होंने कहा कि देसी नस्ल के एक बकरे को तैयार करने में 11 से 13 महीना लगता है वहीं बोर जैसे नस्ल के बकरों को तैयार करने में मात्र 6 महीने का समय लगता है बोर नस्ल के बकरे से काफी फायदा हो जाता है उन्होंने कहा कि बकरे की बिक्री के लिए अधिक परेशान होने की आवश्यकता नहीं पड़ती है ये बकरे क्षेत्रीय बाजार के अतिरिक्त भागलपुर में बिक जाता है बाजार में व्यापारी बकरे को खरीद लेते हैं उन्होंने कहा कि बकरी पालन से सालाना 5 लाख से अधिक की कमाई कर लेते हैं

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