सर्वे! 2 साल के बच्चे में दिमागी बुखार की हुई पुष्टि
बक्सर जिले में बीते दिन दिमागी बुखार यानी जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई) से संक्रमित हुए एक बच्चे की सूचना के बाद स्वास्थ्य विभाग सावधान हो गया है. जिसमें सदर प्रखंड भीतर बरुणा पंचायत के निधुआ गांव का एक बच्चे को उपचार के लिए उसके परिजनों ने पीएमसीएच में भर्ती कराया. जहां जांच में डॉक्टरों ने जेई की पुष्टि करते हुए मुद्दे की सूचना जिला स्वास्थ्य समिति को दी. जिसके बाद सदर प्रखंड के बीएचएम प्रिंस कुमार सिंह तथा यूनिसेफ के बीएमसी आलोक कुमार के नेतृत्व में एएनएम और आशा फैसिलिटेटर द्वारा सभी घरों में सक्रिय मुकदमा सर्च (एसीएस) अभियान चलाया गया. फॉगिंग भी कराई गई. सिविल सर्जन डाक्टर सुरेश चंद्र सिन्हा ने कहा कि एसीएस के दौरान सभी घरों के बच्चों का परीक्षण किया गया. हालांकि, इस दौरान कोई भी बच्चे में इस रोग के लक्षण नहीं दिखाई दिए, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बरतते हुए क्षेत्र के बच्चों को जेई का टीका और मच्छरों से बचाव के लिए फॉगिंग कराने का फैसला था. ताकि, प्रभावित इलाकों के बच्चों को जेई के प्रकोप से बचाया जा सके. साथ ही, सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को आशा द्वारा अपने क्षेत्रों में जेई की नज़र कराने को निर्देशित किया गया है. वहीं विभाग का बोलना है कि सर्वे के बाद फॉगिंग कराई जा रही है. जिला वेक्टर जनित बीमारी नियंत्रण पदाधिकारी डाक्टर शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस एक फ्लेवीवायरस है जो संक्रमित क्यूलेक्स ट्राइटेनिओरहाइन्चस नामक मच्छर के काटने से फैलता है. इसे आम भाषा में जापानी बुखार या दिमागी बुखार भी कहते हैं. जापानी इंसेफेलाइटिस सबसे पहले आदमी के केंद्रीय मस्तिष्क (सेंट्रल ब्रेन) को प्रभावित करता है और फिर बाकी शरीर के कामकाज को प्रभावित कर सकता है. इसमें आदमी को तेज बुखार आता है, जिसे यह बुखार सिर पर चढ़ जाता है और फिर गर्दन में अकड़न, कोमा और न्यूरोलॉजिकल जटिलताओं का कारण बन सकता है. यह संक्रामक बुखार नहीं है और न ही यह एक आदमी से दूसरे आदमी में फैलता है. हालांकि, बच्चों को इस रोग से बचाने के लिए नियमित टीकाकरण के दौरान टीकाकृत किया जाता है.