बिहार के इन सरकारी कॉलेजों में 45 से अधिक आयु वाले नहीं बन सकेंगे असिस्टेंट प्रोफेसर
बिहार के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए उम्र सीमा बढ़ाने के लिए दाखिल अर्जी पर मंगलवार को उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई. डॉक्टरों की निर्धारित अधिकतम उम्र सीमा 45, 48 और 50 साल से बढ़ाकर 70 साल तक करने के लिए दाखिल अर्जी को न्यायालय ने खारिज कर दी है. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चन्द्रन और न्यायमूर्ति हरीश कुमार की खंडपीठ ने डाक्टर निशांत की ओर से दाखिल अर्जी पर सुनवाई के बाद इसे खारिज कर दिया. गौरतलब है की राज्य में सीनियर रेजिडेंट/ ट्यूटर और चिकित्सा शिक्षा सेवा (नियुक्ति, ट्रांसफर एवम प्रोन्नति) नियमावली 2008 के अनुसार राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली में सामान्य श्रेणी के लिए 45 साल आरक्षित कोटा के 48 साल और एससी एसटी वर्ग के 50 साल अधिकतम उम्र सीमा निर्धारित की गई है. इस नियम को कानूनी चुनौती दी गई थी.
आवेदक का बोलना था कि पूरे राष्ट्र में चिकित्सा सेवा एवं मेडिकल शिक्षा को नियंत्रित करने वाली शीर्ष केंद्रीय संस्था नेशनल मेडिकल कमीशन सरकारी मेडिकल कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर की बहाली के लिए अधिकतम उम्र 70 साल निर्धारित की है. उनका बोलना था कि राज्य गवर्नमेंट ने नेशनल मेडिकल कमीशन कानून के विरोधाभासी नियम लागू किया है. न्यायालय को कहा गया कि राज्य गवर्नमेंट के नियम और नेशनल मेडिकल कमीशन एक्ट 2019 के धारा 57 एक दूसरे के विरोधाभासी हैं. उनका बोलना था कि 70 साल के उम्र तक के चिकित्सक असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर बहाल हो सकते हैं.
उनका यह भी बोलना था कि अन्य राज्यों में यह नियम लागू हैं. न्यायालय ने सामान्य श्रेणी के 45 साल आरक्षित कोटा के 48 और एससी-एसटी वर्ग के 50 साल के ऊपर के डॉक्टर्स को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद लिए योग्य नहीं होने के कानून को वैध ठहराया है. न्यायालय ने गवर्नमेंट के सीनियर रेजिडेंट/ट्यूटर एंड बिहार मेडिकल एजुकेशन सर्विस रिक्रूटमेंट, अप्वॉइंटमेंट एंड प्रमोशन रूल्स 2008 के चैप्टर चार के नियम 7(iii) डी को खारिज करने के लिए दाखिल अर्जी को खारिज कर दिया. न्यायालय ने राज्य गवर्नमेंट के नियमावली को ठीक ठहराया.