स्वास्थ्य विभाग : Bihar में डॉक्टरों की सुबह 4-6 बजे तक अनिवार्य होनी चाहिए उपस्थिति
Bihar: पटना। स्वास्थ्य विभाग ने जेइ और एइएस प्रभावित जिलों के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला अस्पतालों में चिकित्सकों, नर्सों और चिकित्साकर्मियों की उपस्थिति सुबह चार बजे से छह बजे तक उपस्थिति जरूरी होनी चाहिए। स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार सिंह ने जेइ और एइएस प्रभावित जिलों के सिविल सर्जनों को दिये निर्देश में बोला है कि बीमार बच्चे इस समय अस्पतालों में पहुंचते हैं। ऐसे में उनका हॉस्पिटल पहुंचने के बाद तुरन्त उपचार शुरुआत हो जाना चाहिए।
75 फीसदी दवा अस्पतालों में उपलब्ध
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि एइएस (एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम) और जेइ (जेपनिज इंसेफ्लाइटिस) से निबटने के लिए सभी अस्पतालों में 75 फीसदी दवा प्रभावित जिलों के अस्पतालों में मौजूद हैं। हर हॉस्पिटल को निर्देश दिया गया है कि सौ-फीसदी दवा मौजूद सुनिश्चित करें। एइएस और जेइ को लेकर विभिन्न स्तरों पर लगातार मॉनीटरिंग की जा रही है। उन्होंने कहा कि एइएस और जेइ से निबटने की तैयारी में पिछले दिन समीक्षा में पश्चिम चंपारण और सारण जिले पिछड़े हैं। दोनों जिलों के सिविल सर्जन से तुरंत तैयारी पूरी करने का निर्देश दिया गया है।
अप्रैल से जुलाई तक बच्चों में इसका बना रहता है खतरा
सर्वाधिक प्रभावित मुजफ्फरपुर जिले की तैयारी बेहतर है। उन्होंने कहा कि जेइ और एइएस पीड़ित बच्चों को बच्चों को अपने खर्च पर हॉस्पिटल लाने के बाद परिजनों को गाड़ी का खर्च भी दिया जायेगा। राज्य के मुजफ्फरपुर, सीमातढ़ी, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, शिवहर, वैशाली, सारण, सीवान, गोपालगंज, समस्तीपुर, दरभंगा, पटना जिले इस रोग से प्रभावित होते रहे हैं। अप्रैल से जुलाई तक बच्चों में इसका खतरा बना रहता है।