चिराग पासवान की सीटें फाइनल होने के बाद पारस कैंप में मची हलचल
पटना। हाजीपुर सीट चिराग पासवान ने हासिल कर ली है। ऐसे में हाजीपुर सीट पर दावा ठोकने वाले केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस अब क्या करेंगे? चिराग पासवान की सीटें फाइनल होने के बाद पारस कैंप में हलचल तेज हो गई है। पार्टी के सभी सांसदों के साथ पशुपति पारस की बैठक हुई और पार्टी की आगे की रणनीति पर चर्चा हुई आज लोजपा पारस गुट की संसदीय बोर्ड की बैठक संभावित है। वहीं पशुपति पारस ने बोला कि वह अपनी सभी सीटों पर कायम हैं। हाजीपुर से वही चुनाव लड़ेंगे और इस मामले पर आज गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से उनकी बात होगी। हालांकि, सियासी के जानकार पारस की स्थिति को कुछ और ही राजनीतिक कोण से देखते हैं।
बता दें कि चिराग पासवान को हाजीपुर सीट दिए जाने को लेकर हाजीपुर में चिराग पासवान के समर्थकों ने आतिशबाजी की। ढोल-नगाड़ों के साथ उत्सव मनाते दिखे। चिराग समर्थको ने दावा किया कि चिराग पासवान हाजीपुर से पिता रामविलास पासवान से भी बड़ी जीत दर्ज करेंगे और हाजीपुर में चिराग युग की आरंभ होने जा रही है। जाहिर है चिराग पूरी तरह से उस विरासत को संभालने के लिए आगे कदम बढ़ा चुके हैं जिसे उनके पिता राम विलास पासवान ने अपने भाई पशुपति कुमार पारस को सौंपी थी।
पारस को लेकर बीजेपी में संशय नहीं
राजनीति की जानकार कहते हैं कि पशुपति कुमार पारस को लेकर अब बीजेपी नेतृत्व के मन में किसी भी प्रकार का संशय नहीं है, क्योंकि उनसे लगातार वार्ता होती रही और उनको मनाने की प्रयास भी की जाती रही। लेकिन, जब पारस ने हाजीपुर सीट को लेकर किसी भी समझौते से इनकार कर दिया तो बीजेपी नेतृत्व में अपना निर्णय सुना दिया। दरअसल, बीजेपी नेता चिराग पासवान में भविष्य की राजनीति को देखते हैं जो कि अब पशु पशुपति कुमार पारस में एकदम भी नहीं है।
चिराग की लोकप्रियता देख रही भाजपा
राजनीति के जानकार कहते हैं कि पशुपति कुमार पारस की उम्र भी हो चली है और जनाधार के स्तर पर रामविलास पासवान के नाम की विरासत छोड़ उनके पास कुछ भी ऐसा नहीं जो वह बीजेपी नेताओं को प्रभावित कर पाएं। सियासी जमीन के हालात भी यही बताते हैं कि पशुपति कुमार पारस का वह जनाधार नहीं है जो कि चिराग पासवान का है। चिराग पासवान की सभाओं में उमड़ती भीड़ इस बात की तस्दीक भी करती है। दलित वर्ग का एक बहुत बड़ा तबका चिराग पासवान में अपना भविष्य देखता है और उसे नायक मानता है।
वर्तमान स्थिति के लिए उत्तरदायी पारस
दरअसल, पशुपति कुमार पारस अपनी इस स्थिति के लिए स्वत: ही उत्तरदायी हैं। बीजेपी नेताओं के सूत्रों की मानें तो उनको कई ऑफर दिए गए। यहां तक कि गवर्नर बनाने तक के ऑफर दिए गए। राज्यसभा सीट का भी ऑफर किया गया। लेकिन वह अपनी जिद पर पड़े रहे हाजीपुर सीट को लेकर वह टस से मस नहीं हुए। हाजीपुर सीट को लेकर उनकी आशक्ति ने अंत में यह हाल कर दिया है कि पारस अब बीजेपी नेताओं के गुड फेथ में हैं या नहीं, बोला नहीं जा सकता है। पांच वर्ष तक केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहने के बाद भी पारस की स्थिति असहज हो गई है।
एनडीए के लिए बिग बूस्ट होगा चिराग
भले ही पीएम मोदी की बिहार की दोनों सभाओं में केंद्रीय मंत्री होने के नाते पशुपति कुमार पारस की उपस्थिति रही, लेकिन उनकी यह मौजूद क्या उनकी स्थिति को भी सहज करती है। एनडीए में ऐसा एकदम ही नहीं है। राजनीति के जानकार कहते हैं कि बीजेपी नेतृत्व इस बात को भली-भांति समझ चुकी है कि चिराग पासवान के आने से एनडीए के वोटों की संख्या में 5 से 6% का बढ़ोत्तरी निश्चित ही संभव है, जो कि एनडीए को बिग बूस्ट होगा। जाहिर तौर पर बीजेपी नेताओं ने इशारा कर दिया है कि पशुपति कुमार पारस में अब कोई ‘जूस’ नहीं बचा है।